Khajuwala: इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 60 दिन की नहर बंदी चल रही है. नहर बंदी के दौरान पेयजल भंडारण के लिए अनूपगढ़ शाखा में पानी छोड़ा गया है, लेकिन 2550 क्यूसेक की नहर में मात्र 500 क्यूसेक पानी मिला हैं.जिससे श्रीगंगानगर तथा बीकानेर जिले की 8 तहसीलों में पेयजल भंडारण किया जाना है. ऐसे में पेयजल भंडारण प्राप्त मात्रा में हो, इसको लेकर किसानों और आमजन के जरिए अनूपगढ़ शाखा में पूरा पानी छोड़ने की मांग की जा रही है. इसके साथ ही सिंचाई विभाग के अधिकारियों के दौरान उच्च अधिकारियों से वार्ता कर पानी बढ़ाने की बात भी की जा रही है.
इस बारें में अधिक जानकारी देते हुए किसान सुभाष भोभरिया ने कहा कि, अनूपगढ़ शाखा में 2550 क्यूसेक पानी छोड़ने की क्षमता है. लेकिन इसमें मात्र 500 क्यूसेक पानी ही छोड़ा गया है. जिसकी वजह से श्रीगंगानगर और बीकानेर जिले की 8 तहसीलों के गांव कस्बों और ढाणियों में पानी का भंडारण किया जाएगा. इतने पानी से तो अनुपगढ शाखा में ढ़ाणियों में बनी पेयजल डेग्गियों के वाटर वर्क्स की डिग्गियां सुखी रह जाएगी. इसके साथ ही नहर बंदी के दौरान नहरों में रुका हुआ पानी और गंदगी से दूषित होकर पानी पहुंचेगा और उसी पानी को पेयजल के लिए भंडारण कर लिया जाएगा. दूषित पानी की वजह से कई प्रकार की बीमारियां फैलने की आशंका बढ़ जाएगी.
जलसंसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता ओमप्रकाश रेगर ने जानकारी देते हुए बताया कि. पेयजल हेतु छोड़ा गया पानी किसान खेतों में इस्तेमाल ना करे. जलदाय विभाग और ग्राम पंचायतों में खाली पड़ी डिग्गीयो में भंडारण किया जाएगा. इस बार पेयजल के लिए नहर में पानी पर पुलिस की पहरेदारी भी रहेगी. ताकि पानी की चोरी को रोका जा सके. इसके साथ ही आने वाले दिनों में सीमावर्ती क्षेत्र खाजूवाला के दूर-दराज तक व ढ़ाणियों में पेयजल की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है. मई महीने में पेयजल को लेकर हालात न बिगड़े इसको लेकर अनूपगढ़ शाखा में छोड़े गए, पेयजल पर प्रशासन ने सिंचाई विभाग व जलदाय विभाग के अधिकारियों की समीक्षा बैठक करते हुए जल भंडारण की व्यवस्था सुचारू तरीके से करने को लेकर दिशा निर्देश दिए. हालांकि, पेयजल को लेकर जिला कलेक्टर भी पूरी तरह से गंभीर है और व्यवस्थाओं को लेकर लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
नहरों में आने वाले दूषित पेयजल से होने वाली बीमारियों से बचने के उपाय को चिकित्सक पुनाराम रोझ ने बताया कि दूषित पानी पीने की वजह से टाइफाइड, हेपेटाइटिस, ग्रेस्ट्रोइन्ट्रारिज, उल्टी दस्त की बीमारीयां हो सकती हैं. इससे बचने के लिए पानी को उबालकर पीने में लाए.या सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली क्लॉरिन टेबलेट को पानी के टंकियों में डाले. जिससे पानी की साफ गुणवत्ता बनी रहेगी.