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बीकानेर,तेरापंथ भवन, गंगाशहर। ज्ञानशाला गंगाशहर का वार्षिकोत्सव मुनि श्री शान्तिकुमार जी एवं मुनिश्री अमृत कुमार जी के सान्निध्य में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री शान्तिकुमारजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ज्ञानशाला गुरूदेव तुलसी का समाज को एक अनुपम देन है। संस्कारित बालक ही समाज की वास्तविक धरोहर है। सम्पूर्ण देश में ज्ञानशालाओं के माध्यम से बालकों में संस्कारों का बीजारोपण हो रहा है, यह बहुत अच्छी बात है। मुनिश्री अमृत कुमारजी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी संस्थाएं, प्रशिक्षिकाएं एवं अभिभावकों के प्रयासों से ज्ञानशाला जैसा यह पावन उपक्रम आगे बढ़ रहा है। आचार्य श्री तुलसी ने इस ज्ञानशाला उपक्रम की परिकल्पना की। एक अच्छी ज्ञानशाला के लिए यह आवश्यक है कि वह निरंतर चले तथा व्यवस्था के साथ चले। पूरे देशभर में ज्ञानशाला का अच्छा नेटवर्क चल रहा है। उन्होंने अच्छे संस्कारों की महत्ता बताते हुए कहा कि अच्छे संस्कार देने के लिए अमरीका में 50 विश्वविद्यालयों में जैन शिक्षा लागू की गई है। मुनिश्री उपशम कुमारजी ने कहा कि हम सभी व्यक्ति उत्तम गुणों को प्राप्त करना चाहते हैं। छोटी उम्र में अर्जित गुण पूरे जीवन में काम आते हैं।
वार्षिकोत्सव का आगाज एक भव्य ज्ञानशाला परेड से हुए जिसमें 200 से अधिक ज्ञानार्थियों ने प्रशिक्षिका मोनिका संचेती के नेतृत्व में भाग लिया। ज्ञानशाला के नन्हें नन्हें ज्ञानार्थियों द्वारा मंगलाचरण के रूप में भक्तामर प्रस्तुत किया गया। ज्ञानशाला के क्षेत्रीय संयोजक रतनलाल छलाणी द्वारा स्वागत वक्तव्य दिया गया। ज्ञानार्थियों द्वारा प्रस्तुत आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में नृत्य गीत बंदे है हम, शासनमाता वंदना, शिक्षा संस्कार हास्य नाटिका, ज्ञानशाला गीत, नाटिका सनत्कुमार, नाटिका पच्चीस बोल, गीत एबीसीडी, सांस्कृतिक नृत्य ने उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभी ने ज्ञानार्थियों का उत्साह बढ़ाते हुए कार्यक्रमों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। ज्ञानशाला संयोजक जतनलाल संचेती ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह गौरव का विषय है कि गंगाशहर ज्ञानशाला को श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा विशिष्ट ज्ञानशाला घोषित किया गया है। शिशु संस्कार बोध परीक्षा भाग 1 से 5 तक में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले ज्ञानार्थियों को देवेन्द्र डागा, जतन छाजेड़, पीयूष लूणिया, पवन छाजेड़, राजेन्द्र बोथरा, अरूण नाहटा, महावीर फलोदिया आदि द्वारा पुरस्कृत किया गया। ज्ञानशाला में प्रशिक्षण देने वाली प्रशिक्षिकाओं संजू लालाणी, मोनिका संचेती, रूचि छाजेड़, प्रेम बोथरा, श्रीया गुलगुलिया, मोहनी देवी चौपड़ा, बबीता नाहटा, कुसुम पारख, बुलबुल बुच्चा, सुनीता पुगलिया, सुनीता डोसी, रक्षा बोथरा, कनक गौलछा, जयश्री भूरा, सरिता आंचलिया, अन्जू बोथरा, भाविका सामसुखा, मुदिता डाकलिया, ममता बच्छावत तथा कार्यकर्त्ता मोहित संचेती, देवेन्द्र डागा, संदीप रांका, मनीष भंसाली, काशीनाथ को तेरापंथी सभा अध्यक्ष अमरचन्द सोनी व पूर्व महापौर नारायण चौपड़ा द्वारा सम्मानित किया गया। तेरापंथ महिला मंडल मंत्री कविता चौपड़ा तथा तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष विजेन्द्र छाजेड़ ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए ज्ञानशाला के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की। आभार ज्ञापन सभा अध्यक्ष श्री अमरचन्द सोनी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सुनीता पुगलिया व मोहित संचेती द्वारा किया गया। कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ कन्या मण्डल, तेरापंथ किशोर मंडल के कार्यकर्त्ताओं का उल्लेखनीय योगदान रहा।

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