बीकानेर,राज्य सरकार नै सहकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए सबकुछ फ्री कर दिया है, लेकिन यह व्यवस्था राहत के बजाय दुश्वारिया ही पैदा कर रही है। संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल की बात करे, तो यहां पर स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती ही नजर आ रही है। सबसे ज्यादा परेशानी अस्पताल स्टाफ को ही रही है।
स्टाफ का टोटा अस्पताल में लंबे समय से है और संसाधनों की कमी तो कभी पूरी भी नहीं हुई। ऐसे में सरकार ने निरोगी राजस्थान योजना एक अप्रैल से लागू कर
अस्पताल प्रशासन के लिए दुश्वारियां और बढ़ा दी है। अस्पताल में योजना की सफलता तो दूर की तथा नर्सिंग स्टाफ के बीच इसको लेकर नाराजगी हो अधिक नजर आ रही है।
जब निशुल्क दवा योजना शुरू की गई थी, तो उस वक्त अस्पताल के अनेक आउटडोर के पास करीब 36 दवा वितरण केन्द्र तय किए गए थे। इसके अलावा होलसेल भंडार को दुकानों को भी दवा वितरण को जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन बाद में धीरे-धीरे केन्द्रों की संख्या घटती रही और इस समय लगभग 30 फीसदी दवा केंद्र बंद हो चुके हैं। मात्र 22 दवा केन्द्र ही संचालित हो रहे हैं। इसमें भी कई केन्द्र तो आउटडोर बंद होने के समय ही बंद हो जाते हैं। इसके अलावा फार्मासिस्टों की संख्या की कम होती रही। कई फार्मासिस्टों ने अपने गृह जिलों में तबादला करवा लिया। इस वजह केंद्र बंद करने की नौबत आ गई अस्पताल प्रशासन ने सरकार की आंदोलन कर इस आदेश को वापस मंशा के अनुरूप योजना लागू करने लेने की मांग की लेकिन अस्पताल का दबाव बनाया तो बजाय हालात सुधरने के और बिगड़ गए।
कई निजी कि मरीजों से मोटी फीस वसूल रहे हैं, लेकिन जब सीटी स्कैन और एमआरआइ तथा महंगी जांच कराने होती है, तो वह मराज को पीबीएम अस्पताल में निशुल्क साटी स्कैन क्या एमआरआइ कराने की सलाह देते हैं। इसके लिए चिकित्सा चिकित्सकों को कह देते हैं कि फलां मरीज की जांब अस्पताल के फार्म पर लिख देना नतीजा दबाव और बढ़ता जा रहा है।
यह सही है कि स्टाफ संधाधनों की कमी बनी हुई है। गत दिनों जयपुर से आई टीम को भी कमियों से अवगत करा दिया था। दवा केन्द्रों की संख्या बढ़ाने क्या फार्मासिस्टों के पद भरने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है। डॉ.पीके सैनी, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल
गत दिनों मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. मोहम्मद सलीम ने एक आदेश जारी कर मरीजों के लिए दवा लाने की जिम्मेदारी नर्सिंग स्टाफ को सौंपी थी। लेकिन इस आदेश के बाद से ही नर्सिंग कर्मचारी नाराज हैं। उन्होंने आंदोलन कर इस आदेश को वापस लेने की मांग की है लेकिन अस्पताल प्रशासन नहीं मान रहा है और नर्सिंग कर्मचारी भी अपनी जिद पर अड़े है।