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बीकानेर (पश्चिम) के एकमात्र ग्रामीण इलाके करमीसर में रामेश्वरलाल की अध्यक्षता में रखा गया। आईपैड तकनीक से ग्रामवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की (मन की बात) कार्यक्रम का प्रसारण हुआ। कार्यक्रम में क्षेत्र के गणमान्य जन उपस्थित थे। कार्यक्रम को बड़े, बुजुर्गो ने काफी सराहा व मोदी जी के मन की बात की प्रशंसा की।
ग्रामवासियों का कहना था कि उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री की (मन की बात) सुनी और अच्छा लगा। इस तरह का कार्यक्रम नियमित करवाने के लिए भी विजय मोहन जोशी से निवेदन किया गया।
कार्यक्रम में भाजपा नेता विजयमोहन जोशी के साथ अध्यक्ष रामेश्वरलाल, करमीसर के पूर्व पार्षद प्रतिनिधि हेमाराम, भंवराराम, रामदेव, ओमप्रकाश, श्रवणरराम, तुलछाराम मेघवाल, गिरधारीलाल हुडडा, पूर्व पार्षद गिरीराज जोशी, भैरू , युवराज सहित क्षेत्र के सम्मानीय व्यक्तिगण उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने आज की मन की बात में देश के म्यूजियम के बारे में बहुत रोचक जानकारी दी। साथ ही १८ मई को इन्टरनेशनल म्यूजियम डे पर युवाओं को अपने शहर के म्यूजियम में जाने का आग्रह किया।
मन की बात कार्यक्रम में डिजिटल पेमेंट पर जोर दिया। भीम यू.पी.आई की बढ़ती सक्रियता का श्रेय मोदी सरकार को ही जाता है। आज देश में प्रतिदिन 20 हजार करोड़ का ऑनलाईन ट्रांजेक्शन हो रहा है। जो डिजिटल भारत के लिए बेहतरीन उदाहरण है।
दिव्यांगों के द्वारा पैरालिंपिक्स में देश का मान बढ़ाने पर उनकी सराहना की।
वॉइस ऑफ स्पेशियली एबल्ड पीपुल संस्था ने डिजिटल आर्ट गैलरी तैयार की हैँ दिव्यांग किस तरह असाधारण प्रतिभा के धनी है, ये आर्ट गैलरी इसका उदाहरण है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी जी ने शुरू हुए गर्मी के मौसम को देखते हुए जल संरक्षण पर बल दिया। इसके लिए शहरी व गांवों के जलाशय, तालाबों की सफाई करवाकर इसके पानी को सदुपयोग में लाया जाए उस पर श्रम करने का सुझाव दिया। जल संरक्षण भी अमृत महोत्सव का संकल्प है। देश के हर जिले में 75 अमृत महोत्सव बनाए जाएंगे।
गणित एक ऐसा विषय है, जिससे बहुत से विद्यार्थी घबराते हैं, देश द्वारा गणित पर किए गए शोध और योगदान को आज जब पी.एम. मोदी जी ने बताया तो पास में बैठे सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए। वैदिक गणित के द्वारा गणित को इतना आसान और बड़ी से बड़ी गणना को हमारे ऋषिमुनियों ने इतना आसान कर दिया कि हम इसको कुछ मिनटो में हल कर सकते हैँँ। कोटि, शंख, पद्म और सागर तक जाती हैँ। इसके आगे भी महोग जैसी संख्याएं होती हैंँ जिसमें एक के आगे 62 शून्य यानी इतनी बड़ी संख्या। भारतीय गणित में इनका इस्तेमाल हजारों सालों से हो रहा है। इस पर काम कर रहे टीचर जो इस पर 20 सालों से काम कर रहे हैं उनके साथ बात की।
इसी तरह कार्यक्रम समाप्त हुआ। लोगों ने कार्यक्रम सुनने के बाद ऊर्जावान महसूस किया।

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