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बीकानेर,आम आदमी को महंगाई की मार और लग सकती है. GST काउंसिल जो जीएसटी को रेगुलेट करती है उसने राज्यों से 143 आइटम्स पर टैक्स जीएसटी स्लैब बढ़ाने को लेकर सुझाव मांगे हैं. अगर राज्यों से भी इन सुझाव पर सहमति बन जाती है तो आम आदमी को महंगाई आगे और परेशान करने वाली है. आपको बता दें कि GST काउंसिल ने कुल 143 चीजों के जीएसटी स्लैब को बढ़ाने का सुझाव दिया है.

इन चीजों के दाम बढ़ाने की की गई सिफारिश
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक  इन 143 चीजों में पापड़, गुड़, पॉवर बैंक, घड़ी, सूटकेस, परफ्यूम, टीवी (32 इंच तक का), चॉकलेट, कपड़े, गॉगल्स, फ्रेम, वाशबेसिन, अखरोट, कस्टर्ड पाउडर, हैंड बैग्स, च्यूइंग गम, नॉन-अल्कोहलिक ड्रिंक, चश्मा और चमड़े की चीजों के दाम बढ़ सकते हैं. बता दें कि जीएसटी काउंसिल ने यह सुझाव दिया है कि इसमें से करीब 92 प्रतिशत आइटम्स के दाम  18 प्रतिशत जीएसटी टैक्स स्लैब से हटाकर करीब 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब में कर दिया जाए. इसके साथ ही कई चीजों को  Exempt List से हटाकर टैक्स के दायरे में लाने पर भी विचार किया जा रहा है. आपको बता दें कि GST काउंसिल नवंबर  2017 और 2018 में जिन चीजों के जीएसटी के दामों में कटौती की थी उसे भी वापस ले सकती है.

साल 2017 में GST काउंसिल गुवाहाटी में हुई मीटिंग में परफ्यूम, लेदर का सामान, कपड़े, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स, पटाखों, प्लास्टिक, लैप्स, साउंड रिकॉर्डर, आदि के सामान में जीएसटी में कटौती की गई थी. अगर GST काउंसिल की मौजूदा सिफारिशों को मान लिया जाता है तो अब आपको इन सभी चीजों पर ज्यादा पैसे देने होंगे. इसके साथ ही आपको टीवी सेट (32 इंच), डिजिटल और वीडियो कैमरा, पावर बैंक, आदि के दामों में भी बढ़ोतरी हो सकती है. साल 2018 की जीएसटी मीटिंग में इन सभी चीजों के दाम में कटौती की गई थी.

यह चीजें Exempt List से होगी बाहर
आपको बता दें कि राज्यों की सहमति के बाद से कई चीजें Exempt List से बाहर हो जाएंगी. इसमें गुड़ और पापड़ है. ऐसे में ग्राहकों को उन चीजों को खरीदने के लिए अधिक पैसे चुकाने होंगे. वहीं हैंड बैग्स, वाशबेसिन, रेज़र, चॉकलेट, कोको पाउडर, wrist watch, कॉफी, नॉन-अल्कोहलिक ड्रिंक, डेंटल फ्लॉस, परफ्यूम, घर बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला सामान, दरवाजा, बिजली का सामान आदि जैसी कई चीजों को  18 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब से हटाकर 28 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब में रखा जाएगा.

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