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बीकानेर! शास्त्री नगर, डुप्लेक्स कॉलोनी के श्री वीर हनुमान वाटिका मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को व्यास पीठ पर विराजे महाराज अरुण कृष्ण व्यास ने सृष्टि की उत्पत्ति का विवेचन करते हुए प्रसंग की विस्तार पूर्वक जानकारी दी! व्यास जी ने गीता के श्लोक
मयाध्यक्षेण प्रकृति: सूयते सचराचरम्
हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते की व्याख्या करते हुए बताया कि श्रीमाद्भाग्वाद गीता के इस श्लोक के माध्यम से भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे पार्थ! मेरी अध्यक्षता में ही ये संपूर्ण प्रकृति चर और चराचर (जड़ और चेतन) संसार की रचना करती है, इसी कारण से जीवन और संसार चक्र गतिशील रहता है. इसकी वजह से विनाश के बाद भी प्रकृति नष्ट नहीं होती और नया निर्माण होता है! यह उद्गार प. पू. अरुणकृष्ण व्यास ने व्यक्त करते हुए आज के श्रीमद्भागवत कथा के प्रसंग में सृष्टि की रचना का विवेचन किया! साथ ही विदुर- विदुरानी तथा ब्रम्हा की उत्पत्ति का विवेचन किया!
श्री वीर हनुमान वाटिका समिति सचिव छाया गुप्ता ने बताया कि कथा स्थल पर कथा श्रवण कर्ताओं की भारी भीड़ रही! कथा स्थल पर समिति की ओर से छाया व ठण्डे पानी की व्यवस्था की गई है! छाया गुप्ता ने बताया कि आज की कथा के यजमान दिनेश कुमार एवं रेखा ने पूजन कार्य पूजारी आशु महाराज के सानिध्य में किया!

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