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बीकानेर,राजस्थान में सिंचित क्षेत्र विकास (इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र ) से सकल राष्ट्रीय कृषि उत्पादन व उत्पादकता में रिकार्ड वृद्धि हुई है। सीएडी क्षेत्र में रिकार्ड कृषि जिंसों के उत्पादन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पूर्व में कई बार अवार्ड मिलें है। सीएडी के कार्यों के चलते प्रदेश और देश की कृषि आधारित इकोनॉमी में उछाल आया है। इसका श्रेय आईजीएनपी, उपनिवेश और सीएडी को सम्मलित रूप से जाता है। इन तीनों विभागों के मुख्यालय बीकानेर में हैं। आज तीनों विभाग अपने अतीत पर आंसू बहा रहे हैं। आज विश्व में खाद्य संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि भारत पूरे विश्व का पेट भर सकता हैं। राजस्थान में ये स्थितियां बनाने में सीएडी क्षेत्र का इंफ्रास्ट्रक्चर कृषि अनुसंधान निदेशालय एव परियोजना निदेशक कृषि एव भू सर्वेक्षण का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ऐसे दो विभाग उपनिवेशन आयुक्त और सीएडी आयुक्त डा. नीरज के पवन हैं। दोनों विभागों में फिर से बचे कामों के लिए जान फूंकने की जरूरत है। उपनिवेशन में भूमि आवंटन के शेष प्रकरणों का निस्तारण, सीएडी में खाला निर्माण, कृषि विस्तार, कृषि अनुसंधान, आबादी विकास और मंडी विकास के अधूरे और लंबित कार्यों पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है। राज्य सरकार आईजीएनपी, उपनिवेशन और सीएडी को दूध नहीं देने वाली गाय मानकर अनदेखी कर रही है। इस से नहरी क्षेत्र के प्रस्तावित विकास में देरी का खामियाजा इलाके के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सीएडी कृषि निदेशालय के अधीन बीकानेर और जैसलमेर में चल रहे कृषि अनुसंधान ग्राह्यता केंद्र, बज्जू, बिकमपुर, नाचना और मोहनगढ़ में काम हुआ है। इन केंद्रों के आधारभूत संसाधन अभी भी सीएडी के पास उपलब्ध हैं। सीएडी के अनुसंधान निदेशालय में समन्वित सिंचित कृषि, जल बचत खेती, समन्वित कीट नियंत्रण प्रणाली रेगिस्तान के काश्तकारों को सिखाया। इस इलाके में विभिन्न फसलों की 250 किस्मों को एडॉप्ट किया गया है। सीएडी की कृषि अनुसंधान और विस्तार के इन कार्यों को बदली परिस्थितियों में फिर से किसानों के समक्ष लाने की जरूरत है। आयुक्त उपनिवेशन, आयुक्त सीएडी विभागों के लम्बित और उपेक्षित कार्यों को गति देकर प्रदेश के विकास में बड़ा योगदान दे सकते हैं। ऐसा अवसर बिरलो को ही मिलता है।

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