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बीकानेर,रौली में नवसंवत्सर पर निकाली जा रही क शोभायात्रा पर पथराव व आगजनी से बने हालात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोषियों को नहीं बख्शने की बात कही है। मुख्यमंत्री ने यह भी साफ कर दिया है कि कोई चाहे किसी भी धर्म जाति व समुदाय के लोग हों, उनके खिलाफ कानून अपना काम करेगा। इस तरह की चेतावनी परंपरागत रूप से हर सरकार की ओर से ऐसे मौके पर दी जाती रही है। चिंता इस तथ्य को लेकर बढ़ जाती है, जिसमें खुद मुख्यमंत्री ने कहा है कि करौली की इस घटना के पीछे कोई साजिश हो सकती है। निश्चय ही कोई साजिश भी सामने आती है, तो उसका खुलासा भी जल्दी होना चाहिए। और, कोई प्रदेश के अमन-चैन में खलल डालने का दुस्साहस न करे, इसके लिए ऐसे समाजकंटकों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई भी की जानी चाहिए, क्योंकि दंगाइयों का कोई धर्म नहीं होता। ऐसे समाजकंटकों को जेल के सींखचों के पीछे भेजा जाना बहुत जरूरी है। इसमें दो राय नहीं कि देर-सवेर घटना के दोषियों को पकड़ उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो जाएगी। लेकिन, मुख्यमंत्री ने चुनावों को लेकर ऐसी हिंसा की शुरुआत को लेकर जो शंका जताई है, उसमें जरा सा भी दम है, तो यह ज्यादा चिंता की बात है। हालांकि प्रतिपक्ष करौली की घटना को लेकर सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप लगा रहा है। मुख्यमंत्री जब भाजपा नेताओं पर चुनाव आते ही इस तरह से सक्रिय होने का आरोप लगाते हैं, तो यह उनका सियासी बयान हो सकता है। बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर कानून व्यवस्था के मसले पर राज्य सरकार लगातार प्रतिपक्ष के निशाने पर क्यों आती जा रही है। कानून अपना काम करेगा कहने से ही काम नहीं चलने वाला। कानून का शिकंजा इतना सख्त होने की जरूरत है कि कोई भी कानून हाथ में लेने का दुस्साहस नहीं कर सके। सवाल • पुलिस के कमजोर होते खुफिया तंत्र का भी है। इस बात पर गहराई से चिंतन करने की जरूरत है कि आखिर माफिया क्यों सक्रिय होते जा रहे हैं। क्यों लगने लग जाता है कि पुलिस का इकबाल खत्म होता जा रहा है? पुलिस बेड़े में भरोसा जगाने की जरूरत तो है ही, जरूरत इस बात की भी है कि खुफिया तंत्र को और मजबूत किया जाए। सामाजिक सद्भाव खत्म करने का दुस्साहस करने वाले समाजकंटकों को शीघ्र व कठोर सजा दी जानी चाहिए।

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