बीकानेर, संभाग के ऐसी मशीनें पड़ी हैं, जो कुछ रुपयों की व्यवस्था नहीं होने के कारण खराब पड़ी है। ऐसी ही एक्सरे की एक मशीन है, जो करीब डेढ़ करोड़ खरीदी गई अब यह कोई काम नहीं आ रही है। इसकी मरम्मत के लिए पत्र व्यवहार भी मंथर गति से चल रहा है। इस मशीन को लेकर अभी तक अस्पताल प्रशासन ने कोई भी रुचि नहीं दिखाई है। जबकि यह मशीन देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही है। 2017-18 में जर्मनी की एक कंपनी से लोडोज एक्सरे मशीन की गई थी। कई सालों तक तो इसे चालू ही नहीं किया गया। बाद में कंपनी के इंजीनियरों ने आकर इसे स्थापित किया। 2021 में एक्सरे की सुविधा चलने के बाद मशीन किन्हीं कारणों से खराब हो गई। तब से लेकर आज तक यह एक कक्ष में ताले में बंद है। हालांकि रेडियो डायग्नोसिस विभाग ने अस्पताल प्रशासन से कई बार पत्र व्यवहार भी किया है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में कई खरीद मेडिकल कॉलेज स्तर पर की रुपए की लागत से पांच साल पहले शुरू हो सकी। करीब पांच माह तक एक्सरे कराने के दौरान सामान्य मशीनों से रेडिएशन का खतरा ज्यादा बना रहता है। इसे देखते हुए लोडोज एक्सरे मशीन मरीजों को कई खतरों से बचाने के लिए खरीदी गई थी। इस मशीन से रेडिएशन का असर कम रहता है और एक्सरे की फिल्म भी
एक्स-रे कराने के दौरान सामान्य मशीनों से रेडिएशन का खतरा ज्यादा बना रहता है इसे देखते हुए लोडेज x-ray मशीन मरीजों को कहीं खतरों से बचाने के लिए खरीदी गई थी इस मशीन से रेडिएशन का खतरा कम बना रहता है और एक्स-रे फिल्म भी साफ आ जाती है
एक्सरे के दौरान रेडिएशन के कम प्रभाव को देखते हुए इस मशीन की खरीद विदेशी कंपनी से की गई थी। मशीन की सारी कुंडली देखने के लिए मेडिकल कॉलेज स्तर पर तीन सदस्यों की कमेटी भी बनाई थी। कमेटी की मुहर के बाद खरीद हुई थी।
जब इसे स्थापित किया गया था,जो फिल्मों की खरीद नहीं की गई थी तब जोड़-तोड़ करके फिल्मों की व्यवस्था की गई। तब इसे चालू किया जा सके। इस मशीन के लिए विशेष तरह की फिल्में होती है जिसमें एक से साफ आता है।
मशीन के बंद होने के बाद इसकी सुध नहीं ली गई। जबकि जिस कक्ष में इसे स्थापित किया गया था। उसे तो तैयार करने में भी हजारों रुपए खर्च किए गए थे। अब वापस इस मशीन को शुरू करने के लिए अगर प्रयास किया जाए, तो डेढ़ लाख से पांच लाख रुपए तक का खर्च होने का अनुमान है।
अस्पताल में इस समय एक्सरे की सोलह मशीनें स्थापित हैं। लेकिन इसमें भी यह समस्या है कि दांत का एक्सरे कराने के लिए मरीज को दन्त विभाग से एक्सरे के लिए अस्पताल के मुख्य-भवन में आना पड़ता है। यहीं स्थिति मेडिसिन आउटडोर की है।