बीकानेर, बीकानेर के भूमिहीन व गरीब किसानों की जमीन को कोड़ियों के भाव दलाल हड़प् रहे है, उप निवेशन व राजस्व विभाग की दलालों से सह व साठ गांठ से भूमि के मालिक भटक रहे है, उनका खातेदारी अधिकार नहीं मिल रहा, राज्य सरकार की छूट की योजना का लाभ नहीं मिल रहा, उनका भूमि का पैसा जमा नहीं हो रहा। भूमिहीन व आवंटित भूमि के मालिक उच्चाधिकारियों व मंत्रियों से मिल रहे है लेकिन भूमाफिया व दलाल तथा उप खंड अधिकारी व राजस्व अधिकारी कार्योलयों के भ्रष्टकार्मिकों की कार गुजारियों से भूमि मालिकों लाभ नहीं मिल रहा है।
बीकानेर जिले की पूगल का भानीपुरा, बज्जू,छतरगढ़, कोलायत, खाजूवाला आदि स्थानों पर अपनी जमीनों को फाइलों को ढूंढने के लिए आवंटित कृृषि भूमि के मालिक राजस्व तहसील कार्यालयों में वर्षों से निरन्तर चक्कर लगा रहे है लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल रही है। राजस्व विभाग की वेब साईट में कई आवंटित मुरब्बों जानकारी है लेकिन 1970 से 1980 के बीच आवंटित भूमि की पूर्ण जानकारी नहीं है। इन वर्षों में आवंटित भूमि की फाइलें जिला कलक्टर कार्यालय, उप खंड अधिकारी बीकानेर, उप निवेशन विभाग, पूगल व खाजूवाला आदि स्थानों पर बोरों में भरी पड़ी है। वकील,दलाल व भू माफिया इन बोरों में पड़ी फाइलों को जब्त कर भूमि के असली मालिक से सम्पर्क कर, कोड़ियों में जमीन को हथिया रहे है। दलालों के चक्कर में नहीं आने वाले कृृषि भूमि के मालिकों की फाइलें गायब करवा रहे है तथा उनकी भूमि पर भू माफियों का कब्जा करवा रहे है। कूट रचित दस्तावेज तैयार करवाकर फर्जी रजिस्ट्री करवा रहे है।
अंत्योदय परिवार की 75 वर्षीय श्रीमती शांति देवी पत्नी स्वर्गीय झंवर लाल सोनी और उनके परिजन पिछले 40 साल से अपनी भानीपुरा मंे आवंटित भूमि के लिए भटक रहे है। श्रीमती सोनी के पति स्वर्गीय झंवर लाल सोनी ने 1970 से 1975 के बीच अपनी बहिन श्रीमती श्रीयां देवी पत्नी दूलीचंद सोनी नापासर आदि के साथ भूमिहीन के रूप् में आवेदन किया था। इन सभी की आवंटित भूमि की फाइलें ही संबंधित उप खंड राजस्व तहसील से गायब है। दलालों व वकीलों के पास फाइल की प्रतियां है, लेकिन भूमि की असली मालिक फाइल की प्रति के लिए भटक रही है। स्वर्गीय झंवर लाल सोनी के नाम से चक भानीपुरा, पूगल बीकानेर में खसरा नं. 232/2 आवंटित की गई। आवंटन के बाद किसी की गलती या बेईमानी से राजस्व रिकार्ड में भंवर लाल पुत्र प्रताप चंद जैन कर दिया गया। ऐसे हजारों लोग है जिनका नाम, पता व जाति आदि मंें परिवर्तन कर गलत कर दिया गया है। श्रीमती सोनी के परिजन सहित अनेक लोग संबंधित कार्यालयों में जाकर भी संबंधित अधिकारियों से गुहार की लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं मिले।
दलाल नियमित बता रहै कि खारिज मुरब्बों की बहाली के लिए उप खंड अधिकारी को 2 लाख, बहाल करने वाले अधिकारी कार्यालय में 70 हजार और अन्य कर्मचारियों को 50 हजार रुपए देने पर ही काम होता है। आवंटित भूमि के असली मालिक भले ही चक्कर पर चक्कर लगालें बिना पैसों की सैटिंग के कोई कार्य नहीं करता। दलालों में बड़ी संख्या वकीलों, भू माफियों की है। किसान संगठन नोखा के लुम्बा राम ने चैधरी ने मुख्यमंत्री, उप निवेशन व राजस्व सचिव व सक्षम अधिकारियों से जमीनों में दलालों के हस्तक्षेप रोकने व कृृषि भूमि के असली मालिक को हक दिलाने, राजस्व कार्यालयों में भ्रष्टाचार रोकने, बीकानेर, पूगल व खाजूवाला आदि स्थानों पर राजस्व कार्यालयों में बोरों में पड़ी फाइलों को सूचीबद्ध करवाने, खारिज मुरब्बों के मालिकों को पुनः सूचना भिजवाकर उनके मुरब्बों को बहाल करवाने, राजस्व कार्यालयों में भूमि सूचना कक्ष बनवाने, वहां किस्तों के अभाव व अन्य कारणों से खारिज मुरब्बों की जानकारी उप लब्ध करवाने, पोग विस्थापितों के लिए भूमि आरक्षित करने वालों की एवज में अन्य भूमि दिलवाने, खारिज मुरब्बों की सूचना आॅन लाइन करवाने की मांग की है।
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