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बीकानेर,देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर हैं। इस बार भी प्रधानमंत्री ने स्वच्छता का ईनाम दिया था। बीकानेर का हर अफसर छुट्टी के दिन इस रविवार को शहर के सर्किलों की सफाई करेगा। इस पहल की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। यह पहल प्रशासन की संवेदनशीलता को दर्शाती है। शहर तो नागरिकों का है। यह बात नागरिकों के जेहन में क्यों नहीं आई। मैने चार साल पहले इंदौर में सफाई व्यवस्था खुद देखी है। तब भी इंदौर देश का सबसे साफ शहर था आज भी है। इंदौर की गली से लेकर, सड़क तक, चौराहे, सार्वजनिक स्थल और मुख्य सड़कें, मंडी तथा पार्क आदि। वहां नगर निगम के अधिकारी भोरे में सफाई व्यवस्था की निगरानी करते सड़कों पर घूमते देखे। इंदौर के लोगों में नागरिक जिम्मेदारी इस हद तक की कोई भी कहीं कचरा नहीं डालता। तय कचरा पात्र में ही लोग कचरा डालते हैं। प्रशासन, सफाई कर्मचारी और आम नागरिक पूरे दायित्व से अपनी जिम्मेदारी निभाते देखें। फिर बीकानेर के लोग सीख क्यों नहीं लेते हैं। बेशक नगर निगम व्यवस्था की जितनी आलोचना की जाए उतनी ही कम है। नगर निगम की व्यवस्था का आलम गंदगी से अटे पड़े शहर से ज्यादा चुने हुए पार्षद बखान करते हैं। प्रशासन सर्किलों की सफाई का अभियान चलाएगा उस वक्त निगम की व्यवस्था क्या करेगी। क्या आम नागरिक भी इसी संकल्प के साथ अपने घरों के आस पास सफाई अभियान चलाने की नागरिक जिम्मेदारी उठाएगा। हर नागरिक इस अभियान के दौरान अपने आस पास की सफाई करें। नगर निगम कर्मचारी कचरा उठाने की जिम्मेदारी निभा लें तो पूरा शहर साफ हो जाएगा। क्या आप और हम तैयार है। अपने आस पास की सफाई के लिए। देखना पूरा शहर साफ दिखेगा। हमेशा ऐसी नागरिक जिम्मेदारी रहेगी तो बीकानेर इंदौर का खिताब छीन सकता है। प्रशासन की पहल अगर बीकानेर के जेहन में उतर गई तो देखना करिश्मा। जगाओ। संस्थाएं जागे। तुम भी जागो। हम भी जागे। हर व्यक्ति जागे। आओ जागें। सफाई का करिश्मा करें।

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