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नई दिल्ली. राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा का एक बड़ा वर्ग सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का पक्षधर है। हालांकि, वसुंधरा राजे के समर्थक उन्हें चेहरा घोषित करने की लगातार मांग कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा के लगातार दिल्ली दौरे और शीर्ष नेताओं से मुलाकात के बाद राजस्थान से लेकर दिल्ली तक हलचल है। सोमवार को प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी दिल्ली पहुंचकर राज्य के प्रभारी अरुण सिंह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भेंटकर राज्य के हालात और आगामी विधानसभा चुनाव पर चर्चा की।

राजस्थान में गुटबंदी से निपटना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। वसुंधरा से लेकर कई अन्य खेमे बन चुके हैं। राज्य के सांसद और विधायक इन खेमों में बंटे हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सभी धड़ों को एकजुट करने की कई बार पहल कर चुका है। हालांकि इसमें अभी पूरी तरह सफलता नहीं मिली है। चूंकि अगले साल 2023 में विधानसभा चुना होने हैं तो अब पार्टी के सभी वरि नेता सक्रिय हो चुके हैं। वसुंधर हाल में दिल्ली दौरे से लेकर यूप और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में जाक सुर्खियों में रहीं, वहीं सतीश पूनिय भी संगठनात्मक दौरे करने में जुटे हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा 2 अप्रैल को राजस्थान का दौरा कर चुके हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इसी महीने राजस्थान का दौरा करने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में पार्टी चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ेगी या नहीं, अभी इस पर कुछ निर्णय नहीं हुआ है। फिलहाल की परिस्थितियों में पार्टी पीएम मोदी के चेहरे और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर मंथन कर रही है।

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