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बीकानेर पीबीएम अस्पताल में गत दिनों एक महिला के प्रसव के दौरान उसकी नवजात के पैर में फैक्चर होने के मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि बच्ची का इलाज भी पीबीएम अस्पताल में न होकर निजी अस्पताल में कराया जा रहा है। जबकि नवजात तथा उसकी मां पीबीएम अस्पताल के क्यू वार्ड में भर्ती है। जानकारी के अनुसार 22 मार्च को महिला जैसमिन का सीजेरियन किया गया था। उस दौरान बच्ची के बाएं पैर में फैक्चर हो गया था। लेकिन चिकित्सकों ने यह बात परिजनों को नहीं बताई। जब बच्ची का एक पैर कोई हलचल नहीं कर रहा था तब चिकित्सक को बताया। चिकित्सक ने बच्ची के पैर का एक्सरे कराया तो उसके पैर में फैक्चर नजर आया। अभिभावकों का आरोप है कि सिजेरियन करने के दौरान बच्ची के पैर में फैक्चर हुआ है। चिकित्सकों ने यह बात उनसे छिपा दी थी। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन भी किया था। लेकिन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अभी तक प्रशासन को नही सौंपी है। बच्ची के पिता मेहनाब खान ने बताया कि उसकी पत्नी तथा बच्ची क्यू वार्ड में भर्ती है, लेकिन इलाज को लेकर अस्पताल प्रशासन गंभीरता नहीं दिखा रहा है। यहां तक बच्ची के पैर का प्लास्टर भी पीबीएम अस्पताल में नहीं हो रहा है। एक निजी चिकित्सक से प्लास्टर कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने जांच कमेटी तो बना दी। लेकिन रिपोर्ट अभी तक नहीं सौंपी है। प्रशासन इसमें लापरवाही बरत रहा है। बच्ची की स्थिति यह है कि उसके पैर छत की तरफ कर नीचे वजन लटका दिया है। हालांकि अस्पताल प्रशासन बच्ची तथा उसकी मां को छुट्टी देने पर आमदा है, लेकिन समाजसेवी सुरेन्द्रसिंह राजपुरोहित की मांग है कि जब तक बच्ची का पूरा इलाज नहीं हो जाता और जांच कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक छुट्टी नहीं होनेदी जाएगी।

इस प्रकरण को लेकर जो कमेटी बनाई थी। उसने अभी तक रिपोर्ट नहीं सौपी है। साथ ही बच्ची के पिता के बयान भी नहीं हुए हैं। उनसे बार-बार संपर्क किया जा रहा है। डॉ. परमिन्द्र सिरोही, अधीक्षक, पीबीएम अस्पताल

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