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नोखा,विधायक बिश्नोई ने कहा कि उत्तर पश्चिम राजस्थान की जीवन दायनी भागीरथी इंदिरा गांधी नहर पर चर्चा कर रहे है और बीकानेर के विजनरी महाराजा गंगासिंह को याद ना करे ऐसा हो नही सकता । कितने दूरदृष्टा थे महाराजा गंगासिंह । गंग केनाल उन्ही की देन है और इंदिरा गांधी नहर परियोजना का डिजाइन उनके इंजीनियर कँवरसेन ने बनाया । यह पूरे उत्तर पश्चिम राजस्थान की जीवन रेखा है ।

विधायक बिश्नोई ने कहा कि 8.6 मिलियन एकड़ फिट शेयर है उस मे से 0.6 मिलियन एकड़ फिट पानी पँजाब से अभी तक हमे नही मिल रहा है । हमारा सेकंड फेज तैयार नही होने के कारण तत्कालीन राजस्थान मुख्यमंत्री ने 0.6 मिलियन अकड़ फिट पानी जब तक हमारा केनाल सिस्टम बन नही जाए तब तक पँजाब को दिया था लेकिन पँजाब उसे वापिस नही लौटा रहा । इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट व ट्रिब्यूनल में संघर्ष चल रहा है इसलिए सरकार व अधिकारियों को पूरी लड़ाई लड़कर राजस्थान के हक का 0.6 मिलियन एकड़ फिट पानी लेना चाहिए जो हमारा हक है ।

बीबीएमबी में 57 सालों से हमारा मेम्बर नही है भास्कर टीम व पत्रकार लोकेंद्र सिंह का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने लम्बी नहर यात्रा करके समाचार पत्र में इंदिरा गांधी नहर परियोजना पर एक श्रंखला चलाई । जिसमें पँजाब पुनर्गठन अधिनियम की बात सामने आई जिस पर केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत ने इनिसिएटिव लेते हुए बीबीएमबी में तीसरे मेम्बर की व्यवस्था की । राजस्थान की सरकार को चाहिए कि केनाल के सिस्टम को समझने वाले व्यक्ति को मेम्बर बनाया जाए ।

पँजाब क्षेत्र में राजस्थान के अधिकारियों की उपस्थिति के संदर्भ में केनाल पर मात्र एक अधिशासी अधिकारी व एक बेलदार है और पंजाब के अधिकारी वहां भरे पड़े है इसलिए आग्रह है कि मजबूत अधिकारियों की नियुक्ति की जाए ।

हरिके बैराज पर पांच गेट से पानी राजस्थान को मिलता है दो गेट बनने बाकी है । उस जगह पर पंजाब में गुरुद्वारा बना लिया है । उससे पीछे दो गेट बनाकर पानी पाइप लाइन डालकर फीडर में छोड़ा जाए ताकि पूरा पानी मिल सके ।

तीन साल में 77 दिन की नहर बन्दी से नहर की रीलाइनिंग हुई है । जिससे नहर की ताकत बढी है इसलिए कम से कम 15000 क्यूसेक पानी नहर में चलाया जाना चाहिए वहां के हर की क्षमता 18500 क्यूसेक है ।
डेम का लेवल पूर्व के वर्षों में 1410 फिट तक भरा जाता था । आज 1390 फिट तक घटा दिया है । डेम में पानी कम आ रहा है डेम के केचमेंट एरिया में वहां के विस्थापित हुए लोग वापस आकर खेती करने लग गए । जिससे जल भराव की क्षमता में कमी आने लगी है ।

सरकार को जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों का प्रतिनिधि मंडल बनाकर भेजना चाहिए जो वहां जाकर हिमाचल सरकार से बात करे और केचमेंट एरिया में खेती बन्द करवाये ताकि जल भराव की क्षमता बढ़ सके और पानी पूरा मिल सके ।

विधायक बिश्नोई ने कहा कि वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों और हम सब को चिंता करनी होगी । फ्लड इरिगेशन को छोड़ना होगा और ड्रिप व स्प्रिंकलर इरिगेशन की और बढ़ना होगा । ताकि समिति पानी मे अधिक क्षेत्र में सिंचाई की जा सके । क्रॉपिंग पैटर्न को भी बदलते हुवे कम पानी के उपयोग वाली फसल की ओर बढ़ना होगा ।

10 जिलों में इस नहर से पीने का पानी आता है । नहरबंदी के बाद कई दिनो तक काला पानी, केमिकल पानी चला । जो पँजाब में लुधियाना व जलन्धर में सीवरेज, एसटीपी, सीईटी, गौशाला व डेयरियों का गंदा पानी डाल दिया जाता है । इसको लेकर दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय में नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ मीटिंग हुई है । जिसके कुछ सकारात्मक परिमाण भी आये है । नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड व एनजीटी ने पंजाब सरकार व इन उद्योगों पर भारी जुर्माना भी लगाया । लेकिन अभी भी उन पर प्रभावी नियंत्रण की जरूरत है ।

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