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बीकानेर,पीबीएम हॉस्पिटल की जनाना विंग के क्यू वार्ड में बेड नंबर 18 पर लेटी जैसमिन को हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने एक ऐसा दर्द दिया कि जिसकी कोई दवा नहीं है। दर्द उसकी तीन दिन की मासूम बेटी को हो रहा है और आंसू उसके निकल रहे हैं। असल में 22 मार्च को हॉस्पिटल में उसकी सिजेरियन डिलीवरी हुई थी। इस दौरान उसे बच्ची हुई।

घर परिवार में खुशी का माहौल था, लेकिन अगले दिन जब उसे पता चला कि उसके बेटी का एक पांव काम नहीं कर रहा है तो उसकी मानो खुशियां ठहर गई। मासूम बच्ची के पिता मेहताब खान ने डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने सब कुछ ठीक होने की बात कही। लेकिन फिर भी मन नहीं माना तो मेहताब ने बच्ची का एक्सरे करवाया।

एक्सरे में बाएं पैर के घुटने से ऊपर की हड्डी टूटी हुई थी। जब इसका पता डॉक्टरों को चला तो उन्होंने बच्ची को हॉस्पिटल से बाहर इलाज करवाने की बात कहने लगे। ताकि हॉस्पिटल और डॉक्टरों की बदनामी नहीं हो। पिछले तीन दिन से बच्ची क्यू वार्ड में भर्ती है। उसके पैर छत की तरफ कर नीचे वजन लटका दिया गया है।

बच्ची के पांव की हड्डी कैसे टूटी इस बारे में जांच करवाई जाएगी। फिलहाल मुझे इस प्रकरण की जानकारी नहीं है, मैं पता करने के बाद ही कुछ कह सकूंगा। – परमेंद्र सिरोही, सुपरिटेंडेंट पीबीएम बीकानेर

बच्ची के पिता मेहताब खान ने बताया कि जब उसकी बेटी रोती तो उसका एक पांव ही हिलता, जबकि बच्ची के रोने पर उसके दोनों पैर हिलते हैं। इसके बारे में जब डॉक्टरों को बताया तो उन्होंने सब कुछ ठीक होने की बात कही। मेहताब ने बताया कि हैरानी तो तब होती है जब हॉस्पिटल के डॉक्टर बच्ची का इलाज करने की बजाय इस पूरे मामले को छिपाने की कोशिश में लगे हुए हैं। कई बार हॉस्पिटल के डॉक्टर कह चुके हैं कि बच्ची को यहां से घर ले जाओ यहां जो इलाज करना था वह कर दिया है।

महिला वार्ड में भर्ती जैसमिन कहती है कि तीन दिन की मासूम बेटी को वह दूध भी नहीं पिला पा रही है। डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उसकी बेटी के एक पांव की हड्डी टूट गई, लेकिन यहां के डॉक्टर इस बात को मानने के लिए भी तैयार नहीं है। हॉस्पिटल प्रशासन के वरिष्ठ डॉक्टरों से शिकायत की तो वे कहते हैं कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा। लेकिन इस बात को मानने के लिए वे तैयार नहीं है कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उसकी बेटी के पांव की हड्डी टूटी है।

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