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बीकानेर,तकनीकी शिक्षा विभाग ने बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज के 18 नॉन टीचिंग नियमित कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इसके साथ ही कॉलेज प्रशासन ने हाईकोर्ट में केविएट भी लगा दी है। यदि कर्मचारी कोर्ट में जाते हैं तो उन्हें याचिका की प्रति पहले कॉलेज को देनी होगी। एक साथ एक ही आदेश से इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करने का प्रदेश का संभवत: यह पहला मामला है।

बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज यानी ईसीबी के सहायक रजिस्ट्रार, सहायक कुल सचिव, सहायक लाइब्रेरियन, भंडार इंचार्ज सहित 18 कर्मचारी शनिवार को कॉलेज पहुंचे तो कक्ष सील किए हुए थे। उनके तालों पर कॉलेज प्रशासन ने एक और ताला लगा दिया। कर्मचारियों को हाजिरी रजिस्टर में साइन करने से मना कर दिया गया।

अधिकारी वर्ग ने प्राचार्य को फोन लगाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अचानक हुए इस फैसले से दिनभर कॉलेज में हड़कंप मचा रहा। हैरानी की बात ये है कि कर्मचारियों को बर्खास्तगी का लेटर तक नहीं मिला। पीड़ित पक्ष का कहना है कि प्राचार्य मनोज कुड़ी ने उनका फोन तक नहीं उठाया। सहायक कुल सचिव राजेश व्यास ने इसके पीछे राजनीतिक कारण बताते हुए कोर्ट जाने की बात कही है।

2018 में हुई थी नॉन टीचिंग 18 कार्मिकों की नियुक्ति
ईसीबी कॉलेज में जुलाई 2018 में नॉन टीचिंग 18 कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई थीं। इनमें सहायक कुल सचिव, सहायक रजिस्ट्रार, सहायक लाइब्रेरियन, भंडार इंचार्ज सहित विभिन्न पदों पर कर्मचारियों को लगाया गया था। दो साल प्रोबेशन काल पूरा होने के बाद इनका वेतन फिक्सेशन करना था।

ईसीबी कर्मियों को हटाने पर पहले भी हो चुका विवाद
वर्ष 2014 में तत्कालीन प्राचार्य ने एडहोक पर लगे 17 नॉन टीचिंग कर्मचारियों को हटाया था। इसे लेकर अब तक विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2018 में नई भर्ती की गई, जिसमें इन 18 लोगों की नियुक्ति के लिए प्राचार्य की अध्यक्षता में चार सदस्यों की कमेटी बनाई थी। जुलाई में नियुक्ति आदेश जारी हुए।

इनसाइट : आदेश जारी करने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग को दो प्राचार्य बदलने पड़े
ईसीबी में 18 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने का मामला राजनीतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है। इस आदेश को जारी करने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग को दो प्राचार्य बदलने पड़े। तत्कालीन प्राचार्य जयप्रकाश भामू के वन मंत्री का विशिष्ट सहायक बनने के बाद तकनीकी शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव राजेश कुमार चौहान ने 8 मार्च को ईसीबी प्राचार्य को पत्र लिखकर 18 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश दिए थे। 15 मार्च को प्राचार्य का चार्ज एसोसिएट प्रोफेसर संजीव जैन को दिया गया।

लेकिन एक सप्ताह बाद ही 22 मार्च को जैन के स्थान पर चार्ज असिस्टेंट प्रोफेसर मनोज कुड़ी को दे दिया गया। जबकि कुड़ी से सीनियर अधिकारी कॉलेज में थे। कुड़ी ने चार्ज मिलने के बाद कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त के आदेश लागू कराए। कर्मचारियों को निकालने के पीछे राजनीतिक कारण भी बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि निकाले गए नियमित कर्मचारी संघ लॉबी से थे।

जबकि कांग्रेस लॉबी से जुड़े 17 कर्मचारी संविदा पर लगे हुए हैं। दरअसल इन नियुक्तियों को लेकर काफी शिकायतें हुई थीं। तकनीकी शिक्षा विभाग की सतर्कता जांच में नियुक्तियों में अनियमितताएं उजागर हुई। उन्हें अवैध माना गया था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया तो सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश चार अक्टूबर 2021 को अपने फैसले में दिए थे।उसके बाद एडिशनल एडवोकेट जनरल डॉ. मनीष सिंघवी ने 18 फरवरी 2022 को तकनीकी शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव को लिखा कि 18 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पालना के तहत नई भर्ती की जा सकती है।

राजनीतिक दुर्भावना से हमें बर्खास्त किया: राजेश व्यास

राजनीतिक दुर्भावना से हमें बर्खास्त किया गया है। कोई नोटिस या आदेश नहीं दिया गया। सुबह कॉलेज पहुंचे तो कमरों पर ताला था। प्रोबेशन काल पूरा होने के बाद फिक्सेशन तक नहीं किया। सातवां वेतनमान भी रिवर्ट कर दिया। कार्रवाई के खिलाफ अब कोर्ट में जाएंगे। – राजेश व्यास, सहायक कुल सचिव, ईसीबी
सलेक्शन ही अवैध था, नियुक्ति करने वाले भी नपेंगे: सुभाष गर्ग

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत ईसीबी के 18 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं। इनका सलेक्शन ही अवैध माना गया है। चयन करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी। – सुभाष गर्ग, तकनीकी शिक्षा मंत्री

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