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बीकानेर,डेपुटेशन रद्द करने से जहां ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं मिलने की उम्मीद बढ़ी है वहीं बीकानेर जिले में एकबारगी स्वास्थ्य का ढांचा बिगड़ रहा है। मुख्यालय पर एक साल से चल रहा इकलौता जनता क्लीनिक बंद हो गया है। वैक्सीनेशन में 12 से 15 वर्ष के बच्चों को हाल ही शामिल किया गया, लेकिन आज की स्थिति में हालत ये है कि वैक्सीन लाने, संभालने और वितरण करने वाला कोई जिम्मेदार कर्मचारी नहीं है।

सोमवार से वैक्सीनेशन के कितने सेशन हो पाएंगे, स्वास्थ्य अधिकारी ये भी बताने की स्थिति में नहीं हैं। इतना ही नहीं पीबीएम हॉस्पिटल जो पहले से ही नर्सेज की कमी से जूझ रहा था वहां से 14 नर्सेज और 105 कोविड हैल्थ असिस्टेंट हटा लेने के बाद सेवाएं बुरी तरह लड़खड़ा गई हैं।

साथ ही बीकानेर शहर की उन डिस्पेंसरियों में मरीजों के लिए डॉक्टर को दिखाने का इंतजार लंबा हो सकता है, जहां आउटडोर में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है। पीबीएम हॉस्पिटल से 12 डॉक्टर, 14 नर्सेज और 105 सीएचए को हटाया गया है। जिला मुख्यालय से 20 डॉक्टर रिलीव हो गए।

नियमित टीकाकरण के वैक्सीन रिसीवर-वितरण प्रभारी हटाए गए हैं। कोविड वैक्सीन के प्रभारी भी हटे हैं। ये ट्रेंड कर्मचारी होते हैं। इसके साथ ही एनएचएम के कर्मचारी हटा देने से वैक्सीनेशन के सेशन तय करने, बूथों पर वैक्सीन पहुंचाने, लगाने, व्यवस्था बनाने वाले सीएचए भी कम हो गए हैं। ऐसे में नए सिरे से टीकाकरण के सत्र तय करना मुश्किल हो गया है।

ट्रेंड कर्मचारी हटे, वैक्सीन का रखरखाव नहीं हुआ तो बच्चों पर उल्टा असर पड़ेगा।आरसीएचओ डॉ. राजेशकुमार गुप्ता ने टीकाकरण के परियोजना निदेशक को पत्र लिखकर जहां डेपुटेशन पर नियुक्त कर्मचारियों को रिलीव करने की जानकारी दी है वहीं चिंता भी जताई है कि ट्रेंड कर्मचारी नहीं होने से वैक्सीन की कोल्ड चेन और गुणवत्ता मेंटेंन करने में दिक्कत आ सकती है। ऐसा हुआ तो बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

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