महाजन, जहां राज्य सरकार ने महाजन अस्पताल को क्रमोन्नत कर करोड़ों की नया भवन भी बना दिया। है लेकिन यहां पीने के पानी को कोई व्यवस्था नहीं होने से मरीजों के साथ स्टाफ को परेशानी झेलनी पड़ रही है। साथ ही अन्य सुविधाओं का टोटा होने से भी मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना काल में भी यहां चिकित्सा विभाग ने सुविधाओं का विस्तार करने की र तरफ ध्यान नहीं दिया है।
गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व या राज्य सरकार ने यहां के प्राथमिक । स्वास्थ्य केन्द्र को क्रमोन्नत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाकर करोड़ों के नए भवन में स्थापित कर दिया लेकिन यहां सुविधाओं की तरफ कोई ध्यान ना तो सरकार दे रही है एवं ना ही चिकित्सा विभाग। लूणकरनसर से सूरतगढ़ के बीच राजमार्ग पर स्थित एकमात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सडक़ हादसों के वक्त सुविधाओं के अभाव में अफरा-तफरी मच जाती है।
करोड़ों की लागत से बने अस्पताल में मरीजों व चिकित्सा स्टाफ के लिए पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है।आबादी क्षेत्र से दूर होने के कारण पानी का कनेक्शन करना टेढ़ी खीर बना है। ऐसे में स्टाफ को पानी की व्यवस्था करने के लिए टैंकर मंगवाने पड़ते है जिसका खर्चा मेडिकेयर रीलिफ सोसायटी पर पड़ता है। वहीं चिकित्सा स्टाफ के लिए पानी के कैम्पर मंगवाने पड़ते हैं।
अस्पताल में चिकित्सकों के कुल छह पद स्वीकृत है जिनमें से तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का प्रभारी अनुभवी डॉक्टर को बनाया मंगवाना पड़ रहा है। जाता है लेकिन यहां यह नियम भी ताक पर है। यहां 11 जीएनएम में से डॉ. कर्णपाल लॉयल, चिकित्सक महाजन अस्पताल। 6 ही है। एएनएम के भी 6 में से 4 पद रिक्त है। लैब टेक्नीशियन का दो में से एक पद खाली है। फार्मासिस्ट के दो में से एक पद खाली है। महाजन अस्पताल के अधीन आने वाले उप स्वास्थ्य केन्द्रों में भी हालात खस्ता है तथा 6 उपकेन्द्रों में 2 रिक्त है।
यहां लंबे समय से एक्स-रे मशीन व अन्य उपकरण आए हुए है। रेडियोग्राफर का पद रिक्त होने से लाखों की मशीनें कमरे में बंद धूल फांक रही है। वहीं सड़क हादसों में घायलों व अन्य मरीजों को एक्स-रे करवाने के लिए बीकानेर या सूरतगढ़ जाना पड़ रहा है। मंत्री द्वारा घोषित एम्बुलेंस भी अटकी गत वर्ष कोरोना की दूसरी लहर में केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने यहां आधुनिक एम्बुलेंस देने की घोषणा की थी लेकिन एम्बुलेंस के संचालन को लेकर बजट आदि की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण यह एम्बुलेंस भी कागजी बन गई एवं आज तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। जिससे मरीजों को निजी वाहनों में बीकानेर या अन्य स्थान पर ले जाना पड़ता है
अस्पताल में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है नलकूप लगवाने की चर्चा चली थी जो आज तक पूरी नहीं हुई है हिलाल टैंकरों से पानी मंगवाना पड़ रहा है। डॉक्टर करण पाल लायल चिकित्सक महाजन अस्पताल