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बीकानेर, गुजरात में ऊंटों की किए। संख्या बढ़ने के साथ-साथ उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय भी तेजी से उभर रहा हैं। नतीजतन वहां के ऊंट पालक इस प्रजाति के औषधीय गुणधर्मो युक्त दूध की बिक्री कर अच्छा लाभ कमाने लगे हैं। इससे राजस्थान के ऊंट पालक व किसान भी प्रेरित होकर इस व्यवसाय को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति में बदलाव ला सकते हैं। ये विचार केन्द्र के निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने एनआरसीसी में गुरुवार से प्रारम्भ हुए उष्ट्र डेयरी में उद्यमिता विकास एवं उष्ट्र स्वास्थ्य प्रबंध विषयक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारम्भ पर व्यक्तत किया

गुजरात के कच्छ जिले से आए 10 ऊंट पालकों के इस दल को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रशिक्षणार्थी इस केन्द्र में ऊंटनी के दूध से बनने वाले विभिन्न दुग्ध उत्पादों की जानकारी लेकर इन्हें बनाना भी सीखें। निदेशक ने एनआरसीसी कैमल द्वारा इको टूरिज्म के दृष्टिकोण से विकसित विभिन्न पर्यटनीय सुविधाओं एवं आमजन में इसके प्रति बढ़ते रूझान के प्रति उनका ध्यान आकर्षित करवाते हुए उष्ट्र पर्यटन व्यवसाय की संभावनाओं को उजागर किया।

एनआरसीसी के एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर एवं इस प्रशिक्षण के समन्वयक डॉ. शिरीष नारनवरे व ने जानकारी दी कि प्रशिक्षण में गुजरात के इस दल को ऊंटनी के दूध उत्पादन क्षमता का विकास, थनैला रोग की पहचान व रोकथाम, ग्याभिन व दुधारू ऊंटनी की देखभाल, स्वच्छ दूध उत्पादन, पशुओं के लिए चारा उत्पादन प्रबंधन, पशु प्रजनन, ऊंटनी के दूध से उत्पाद तैयार करना, उष्ट्र पर्यटन द्वारा उद्यमिता विकास व पशु के विभिन्न संक्रामक रोगों पर विषय विशेषज्ञ व्याख्यानों के माध्यम से जानकारी देंगे।

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