बीकानेर अमृत योजना में करीब चार साल पहले 1 करोड़ 80 लाख रुपए खर्च कर विकसित किया गया सका है। वृद्धजन भ्रमण पथ का सेंट्रल पार्क आज अपनी बेनूरी पर आंसू बहा रहा है। चार साल में ही इस पार्क का नूर देखरेख के अभाव में कहीं खो गया है। जब इस पार्क को विकसित किया गया, तो इसकी रौनक में चार चांद लग गए थे। जाना हजारों परिवार इस पार्क में अपने बच्चों के साथ आनंद लेते देखे जा सकते थे, लेकिन दो साल में ही इस पार्क में लगी हरी घास अब सूख चुकी है और पौधे अंतिम सांस ले रहे हैं। गौरतलब है कि अटल मिशन फॉर रिजूवेशन एंड अरबन ट्रांसफॉर्मेशन योजना के तहत यहां 6 पार्क का निर्माण कराया था। तब यहां घूमने आने वाले हजारों वृद्धजनों तथा उनके परिजनों को लगने लगा था कि उन्हें इस पार्क के रूप में शुद्ध हवा लेने का सुकून भरा स्थान मिल गया है लेकिन अभी चार साल भी नहीं हुए हैं कि इस गर्मियों में ये पार्क बैठने के लायक भी नहीं रह गया है।
पार्क में सिंचाई करने के लिए जिस ट्यूब वेल से पानी की सप्लाई होती है, वह कई महीनों से खराब पड़ा है। 6 कर्मचारियों की इस पार्क में ड्यूटी होने के बावजूद एक दो कर्मचारी ही यहां दिखाई देते हैं। देखरेख नही होने से जिस पानी में ट्यूबवेल जपानीक थूब उसके ढक्कन और पाइपों को भी उखाड़ दिया
नियमित रूप से मार्निंग वॉक पर आने वाले सेवानिवृत रफीक अहमद का कहना है कि वृद्धजन भ्रमण पथ में स्थित पाइप लाइन, पानी के टैंक तथा पाइप आदि को कोई नुकसान नहीं पहुंचाए, इसके लिए रात्रि के समय सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि रात्रि में असामाजिक तत्वों का जमावडा भी नहीं हो और पार्क की संपत्तियों को नुकसान भी नहीं पहुंचे।
नागरिक सेवा संस्थान के यशपाल आचार्य, बंशीलाल व्यास घनश्याम मोदी पुरुषोत्तम तंवर, जगदीश रामावत, अख्तर अली, के के व्यास, मुकुंद आचार्य ने बताया कि यदि प्रशासन एक बार इस पार्क की व्यवस्थाएं दुरस्त करा दे, ट्यूबवेल, पानी के टैंक की मरम्मत तथा खराब हो चुकी पाइप लाइनों को बदल दे, तो संस्थान इसकी देखभाल कर सकता है क्योंकि नियमित देखभाल के अभाव में ही ये पार्क उजड़ रहा है
यहां घूमने आने वाले रामदेव आसोपा को दुख भी इस बात का है कि जिला कलक्टर कोठी के सामने स्थित इस पार्क की ये स्थिति है, तो शहर के अन्य पार्कों की दशा कैसी होगी, इसका सहज भी अनुमान लगाया जा सकता है। जिम्मेदार विभाग और अधिकारी तो आंखें मूंदे बैठे ही हैं, संबंधित ठेकेदार का भी कोई अता पता नहीं है। यहां लगे बोर्ड को सार्वजनिक स्थान के बजाय ऐसे स्थान लगाया गया है, जहां कोई देख नहीं पाता। खोज करने पर ये बोर्ड झाड़ियों के पीछे लगा मिला, • जिस पर ठेकेदार के कोई संपर्क नंबर या फर्म का नाम भी नहीं लिखा गया है।