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बीकानेर,विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जा रहा है। इस वर्ष थीम है भू-जला ऐसे में इस मौके पर देशभर में भूजल के हालात जानने की कोशिश की तो चौंकाने के साथ ही चितित करने वाले तथ्य सामने आए। मसलन, सबसे गहराई में पानी राजस्थान में है। राजस्थान का बीकानेर जिला देश का सबसे गहरे पानी वाला जिला है। केन्द्रीय भू-जल विभाग की प्री मानसून रिपोर्ट- 2019 के मुताबिक बीकानेर में अधिकतम 128.15 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल (एमबीजीएल) पर पानी है।

इतना ही नहीं गहराई के लिहाज से टॉप चार सभी जिले राजस्थान के हैं। मसलन जोधपुर में 115.38 एमबीजीएल नागौर में 108.40 एमबीजीएल और जैसलमेर में 107.26 एमबीजीएल भूजल है। प्रदेश के 900 कुऔं पर मापी गई पानी की गहराई में सामने आया कि 175 कुएं ऐसे हैं जहां 40 एमबीजीएल से ज्यादा गहरा पानी है। देशभर में 14827 कुओं का विश्लेषण कर बनाई गई इस रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में सबसे गहराई वाले चार जिलों के कुओं के बाद पांचवा तमिलनाडु का कालोर और छठा तेलंगाना के रंगा रेड़ी जिले का कुआं है जहां भूजल 100 एमबीजीएल के आस पास है।

केन्द्र की रिपोर्ट के साथ ही राजस्थान भूजल विभाग की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश के 29 जिले अतिदोहन की श्रेणी वाले हैं। महज श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बांसवाड़ा एवं डूंगरपुर ही सेफ जीन में हैं। इसके साथ ही प्रदेश की 2013 से 2019 की छह वर्षीय भूजल रिपोर्ट कहती है कि प्रदेश के सात जिलों में औसत भूजल की गहराई 40 एमबीजीएल से ज्यादा है। इनमें बीकानेर, नागोर, जैसलमेर, जोधपुर के साथ ही झुंदन सीकर और चूरू भी शामिल है। चिंता का एक तथ्य यह भी है कि वर्ष 2020 में प्रदेश के 14 जिलों में पिछले पांच साल की तुलना में वाटर लेवल और नीचा हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा अलवर में 6.01. एमबीजीएल लेवल तक जलस्तर गिरा है।

डायनामिक ग्राउंड चाटर रिसोर्सेज ऑफ इंडिया 2020 के मुताबिक राजस्थान में जितना पानी बारिश एवं अन्य माध्यमों से रिचार्ज हो रहा है उससे 150.22 प्रतिशत ज्यादा ले रहे हैं। दो साल बाद यानी वर्ष 2025 में भूजल से घरेलू पानी की जरूरत 2.17 बिलियन क्यूबिक मीटर (बोसीएम) होगी। इससे इतर भविष्य में इस मद के लिए उपलब्धता महज 0.99 बीसीएम ही होगी। सबसे ज्यादा जैसलमेर में पानी का दोहन हो रहा है। यह दोहन रिचार्ज की तुलना 318.63 प्रतिशत है

‘कैच द रेन-व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन फाल्स’ मतलब बारिश का पानी जब भी, जहां भी गिरे उसे संजोकर रख लो। इस ध्येय वाक्य के साथ बीते साल जल दिवस पर केन्द्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय ने अभियान शुरू किया। 6000 करोड़ की भूजल संसाधन प्रबंधन वाली अटल भूजल योजना। 07 राज्य 81 जिले 8774 ग्राम पंचायत अटल भूजल योजना मे इसमें राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सात राज्यों इसमें शामिल। • मास्टर प्लान केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड यानी सीजीडब्ल्यूबी ने कृत्रिम भूजल पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान तैयार किया • 185 बिलियन घन मीटर (बीसीएम) जल दोहर के लिए 1.42 बीसीएम का पुनर्भरण बारिश से करना इस प्लान में शामिल है।

स्रोत केन्द्रीय भूजल विभाग, राज्य भूजल विभाग की रिपोर्ट, ग्राउंड वाटर बुक ऑफ इंडिया 2019-20, डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट, लोकसभा-विधानसभा में सरकारों की ओर से रखे गए विभिन्न तथ्य |

प्रदेश में ताल तलैयो, कुओं पर शोध कर जल और समाज’ शोध पुस्तक लिखने वाले डॉ. बजरतन जोशी कहते हैं, हालात के लिए हम खुद ही पूरी तरह जिम्मेदार है। वे बीकानेर का ही उदाहरण देते हुए कहते हैं, सिर्फ इस शहर में 100 तालाब-तलाइयां थी। लगभग 70 के नाम- अस्तित्व तो अब भी मौजूद हैं। इनके अलावा कुएं अलग हैरानी की बात यह है कि ये सभी समाज ने अपने बूते बनाए थे। इनमें से 10 फीसदी में ही राज के सहयोग का उल्लेख मिलना मुश्किल है। फ्री-जल वितरण की व्यवस्था 1943 में शुरू हुई। इससे पहले कभी भी, ढूंढने पर भी इतिहास में जल संकट का उल्लेख नहीं मिलता। हमने घर में पानी आते ही अपने तालाबों को रौंदकर बस्तियां बसा दी रिचार्ज के साधन बंद हो गए। अब भूजल संकट गहराता जा रहा है। अब भी मनरेगा जैसे प्रोजेक्ट हमारे हाथों में हैं। हमें अपने नए रिचार्ज प्वाइंट बनाने होगे अन्यथा अगली पीढ़ी माफ नहीं करेगी।

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