बीकानेर,पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में स्थित जिला अस्पताल बस नाम रहे। का ही नजर आ रहा है। अस्पताल के हाल ऐसे हैं कि जहां हाथ रखो, वहीं दर्द नजर आता है। न तो पर्याप्त स्टाफ हैं और न ही संसाधन। एक झटके में दर्जनों डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ हटा तो दिए, लेकिन बदले में दिया एक भी नहीं।यूं तो यह अस्पताल सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैं। ऐसे में इस अस्पताल की सारी की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज प्रशासन की है। लेकिन जब कॉलेज से संबद्ध पीबीएम अस्पताल की व्यवस्था ही पटरी से उतरी हुई। है, तो जिला अस्पताल की कौन सुध ले। गत दिनों संभागीय आयुक्त ने भी इस अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए थे लेकिन निर्देश सिर्फ मौखिक ही रहे है।
स्टाफ का टोटा होने के कारण हालत बद से बदतर हो रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि दो वार्डों को एक वार्ड में मर्ज कर दिया गया है। इसके अलावा सुरक्षा के नाम पर भी कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि अस्पताल में पहले व्यवस्था सुदृढ़ थी। साथ ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने यहां पर रेजीडेन्ट चिकित्सकों को भी भेजना बंद कर दिया है।
जब जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज के अधीन किया था, तो उस वक्त यह तय किया गया था कि चार सीनियर रेजीडेन्ट और चार ही जूनियर रेजिडेन्ट रेजिडेन्ट चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई जाएगी यह व्यवस्था कुछ दिन चली लेकिनअब बंद हो गई है। ये किसके आदेश से हुए इसका जवाब किसी के पास नहीं है। अभी अस्पताल में प्रतिनियुक्ति पर चल रहे चिकित्सकों को भी हटा दिया है। ऐसे में व्यवस्थाएं बीमार हो गई हैं।
सोनोग्राफी करने वाले चिकित्सक की अगर नाइट में ड्यूटी होती है तो दिन में सोनोग्राफी कक्ष पर ताला लगा रहता है। फिर मरीजों को या तो निजी सेंटरों में सोनोग्राफी करानी पड़ती है या फिर दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ता है। यही स्थिति चर्म एवं रति रोग विशेषज्ञ की है। पूर्व में चर्म रोग विशेषज्ञ भी आता था लेकिन अब उनका आना भी बंद हो गया है।
गत दिनों संभागीय आयुक्त ने अस्पताल का निरीक्षण किया था। उस वक्त यहां पर गार्ड लगाने का आश्वासन दिया था। लेकिन आज तक गार्ड की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में यहां पर सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे है।
अस्पताल में चिकित्सकों सहित अन्य व्यवस्थाएं बनाएं रखने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन को बोला हुआ है प्रतिनियुक्ति समाप्त होने कारण कई चिकित्सकों को उनके मूल पदों पर भेज दिया है ऐसे में स्टाफ की कमी हो गई है। डॉ. प्रवीण चतुर्वेदी, अधीक्षक जिला अस्पताल