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बीकानेर,राज्य सरकार की ओर से गोचर पर बसें लोगों को पट्टे देने के निर्णय पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्थगन दे दिया। उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद में गोचर भूमि में राज्य सरकार कोई बदलाव नहीं कर सकेगी। हालांकि इसी मांग को लेकर सरेह नथनिया गोचर पर देवी सिंह भाटी के नेतृत्व में 46 दिनों तक आंदोलन चला। बाद में आंदोलनकारियों और सरकार के बीच इसी आशय का समझौता हो गया। इस समझोते में संभागीय आयुक्त के स्तर पर तथा दूसरे चरण में अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्व सचिव समेत अन्य अधिकारियों के साथ बातचीत में गोचर में पट्टे नहीं देने, गोचर से अतिक्रमण हटाने, गोचर की भूमि का अन्य उपयोग नहीं होने देने, गोचर का विकास करने, गोचर, ओरण, बहाव क्षेत्र की भूमि सुरक्षित रखने पर सहमति हुई। यह समझौता होने के बाद अब पिछले पखवाड़े उच्च न्यायालय राज्य सरकार के इस आशय के निर्णय पर स्थगन हो गया। गोचर आंदोलन के पीछे आंदोलन से जुड़े लोगों की मंशा गोचर को सुरक्षित रखने और गोचर का विकास करने की रही है। इस आंदोलन की आवाज दूर तल्ख पहुंची और इस मुद्दे से जुड़े देशभर तथा प्रदेश के लोगों में सक्रियता आई थी। समझौते के बाद आंदोलनकारी और आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लोग एकदम से अदृश्य हो गए। आंदोलन से उभरी जन भावना भी शिथिल पड़ गई। सरकार को तो खैर कुछ करना ही नहीं था। नेता आरामगाह में चले गए। उत्साहित लोग आगे के कदम पर इंतजार कर अपने कामों में खो गए। आंदोलन का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया है। मुद्दा ठंडा पड़ गया है। लोग उम्मीद लगाए थे कि राजस्थान में गोचर सरकार और जन सहयोग से हरा भरा होगा। उसमें गाएं ही चरेगी। गोचर भूमि पर अतिक्रमण नहीं रहेंगे। गोचर का अन्य उपयोग नहीं होगा। गोचर,गाय, ओरण और बहाव क्षेत्र की भूमि सुरक्षित हो जाएगी। हुआ कुछ भी नहीं। आंदोलन के बाद पहले जैसा था वैसा ही हैं। हुआ यह की आंदोलन खत्म हो गया। लोग इंतजार कर रहे हैं कि कोई तो बताएं इस आंदोलन से क्या हुआ ? गोचर पर आवासीय पट्टे के संशोधित कानून सरकार ने वापस ले लिए क्या ? गोचर से कब्जे हट गए क्या ? गोचर विकास की पंचायत एव ग्रामीण विकास विभाग की प्रस्तावित योजना में मनरेगा के तहत गोचर में चारागाह विकास, स्थानीय प्रजाति के पेड़ लगाने और अतिक्रमण हटाने के कार्य समझोते के बाद शुरू हो गई क्या। सवाल यह कि ऐसा क्या समझोता हुआ जिसका कोई असर नहीं दिख रहा है। राज्य सरकार ने अन्य उपयोग के लिए गोचर का अधिग्रहण बंद नहीं किया है । इसके लिए कानून में आवश्यक संशोधन की पहल अभी तक नहीं हुए है । गोचर, ओरण और बहाव क्षेत्र की भूमि का दुरुस्तिकरण का काम चालू कब होगा समझोता तो यह भी हुआ था कि यदि किसी राजकीय भूमि चारागाह गोचर व औरण के रूप में उपयोग किया जा रहा है और राजकीय रिकॉर्ड में उसका अंकन नहीं है तो सक्षम अधिकारी मौका का निरीक्षण कर राजस्व अभिलेख में अंकन की नियमानुसार कार्यवाही करेगा। गोचर , ओरण , चारगाह के संरक्षण , सुरक्षा एवं विकास के लिए तहसील एवं पंचायत स्तर पर कार्य योजना पर अमल होगा।

गोचर व चारागाह की जमीन पर जल संग्रहण संरचनाओं के अलावा अन्य कोई निर्माण कार्य नहीं हो। इसे सरकार ने माना भी। भविष्य में चारागाह की कुल भूमि नियत सीमा या अनुपात से अधिक का किस्म परिवर्तन , विशेष प्रयोजन के लिए पृथक नहीं की जावें । समझोते में राजस्व अधिनियम राजस्थानी काश्तकारी नियमों में संशोधन प्रस्ताव विचारार्थ स्वीकारा। इतना लम्बा आंदोलन चला। लोगों में उम्मीदें जगी। हुआ केवल समझौता है। मिला स्थगन। धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ । इस आंदोलन के फिर क्या मायने रह गए।

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