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बीकानेर । बीकानेर शहर की पुरानी परंपरा के अनुसार गोधो जी के नाम से प्रसिद्ध (हरणीकशयप की बहन होलिका जिसका प्रेमी -मंगेतर) नाम से प्रसिद्ध था गोधो जी के बारे में कहावत है कि इनके दर्शन से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है मोहता चौक मरूनायक मंदिर से मोहता परिवार द्वारा सेवक ,छंगानी, रत्तानी व्यास, द्वारा गेवर साले की होली मंगलाने के लिए साले की होली की तरफ के लिए रवाना होती है , मोहता चौक मरूनायक मंदिर से कालोनी जोशी परिवार गोधो जी की प्रतिमा ले कर रवाना होते है । कहा जाता है कि जोधपुर में इन्हें इलो जी के नाम से जाना जाता होलिका दहन के पश्चात इलो जी जीवन भर कुँवारे ही रह गए । इस प्रतिमा को मोहता चौक से सामुहिक रूप में श्रीबजरंग मोहता, श्रीलाल मोहता, बंटी मोहता, गुड़ु मोहता, रतनलाल छंगाणी ,मंगता छंगाणी, सन्नू कलवानी ,कृष्ण कुमार मोहता बम्बई से पधारे गिरधर मोहता आदि के साथ मक्कड़ सा जोशी ने प्रतिमा को बीकानेर के विभिन्न रास्तों से होते हुए साले की होली के चौक पहुँचे । लोगो से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रतिमा की परंपरा के बारे में लोगों ने हमें यह बताया । होलिका दहन का समय रात 9-00 का साले की होली में रखा गया ।

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