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बीकानेर,ये वो परकोटा में है जिसमे हर दिन कही न कही शानदार फाग उत्सव हो रहे है, ये वो बीकानेर है जहाँ रात में 2 बजे भी मंदिर के सामने डांडिया चल रहे है, ये वो ही परकोटा है जहाँ रम्मत में हजारों की संख्या में लोग होते है जहाँ पैर रखने की जगह नही है रात में वहाँ से अगर महिलाएं निकल रही है तो अपने आप वो भीड़ उनको बिना कोई छेड़ छाड़ के अपने आप रास्ता दे रही है, ये वो परकोटा है जहाँ निकलती गेर में पुष्प वर्षा हो रही है। हॉल में कही कोई गाने बजा रहा है तो टोका जा रहा है, जहाँ से भीड़ निकल रही है उनको सम्मान से जाने दिया जा रहा है। जो लोग कह रहे है अश्लीलता है तो जनाब ये वो ही परकोटा है जहाँ पर बहार से आये युवा जो उड़ढंग कर रहे होते है उनको रोक कर ठंडा पानी पिलाकर समझाकर छोड़ा जा रहा है, ना कि मारपीट कर। बाकी जो भी प्रॉग्राम चल रहे है वो भी अपनी सीमा के दायरे में, ये वो ही परकोटा है जहाँ बीकानेर के अथवा बाहर के बड़े बड़े सोसल मीडिया इंफ्लुएंसर और ब्लॉगर इस होली को अपने कैमरे में कैद करके ले जा रहे है। असभ्य बोलने के बाद भी अगर रात को कचोळी या स्वादिस्ट व्यंजन खाने का मन हो और आनंद लेने की आपकी इच्छा हो तो भी हमारा बरगुवाड़ 24×7 आपका स्वागत और आव भगत करने के लिए हमेशा तैयार मिलेगा। सोच बदलिए, आपको परकोटे होली खुद ब खुद बदली बदली ही नजर आएगी। कही कोई विरासत संस्कृति और त्यौहार अपने मूल स्वरुप में जिंदा है तो वो परकोटे में है।

बुरा_न_मानो_होली_है

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