बीकानेर के सींथल में कार्यरत एक ग्राम विकास अधिकारी (VDO) को चार्जशीट देना अब विभाग के लिए ही भारी पड़ गया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में पंचायत राज विभाग के सेक्रेटरी से जवाब तलब किया है कि किन नियमों के तहत विकास अधिकारी ने ग्राम विकास अधिकारी को चार्जशीट दी है, जबकि VDO मुख्य कार्यकारी अधिकारी के अधीन काम करता है।
दरअसल, मामला बीकानेर की सींथल ग्राम पंचायत से जुड़ा है। जहां VDO पद पर काम कर रहे भागीरथ आचार्य को चार्जशीट दी गई। एक मामले में ऑडिट होने पर आचार्य को चार्जशीट विकास अधिकारी ने दी। आरोप है कि जब वह 2015 से 2018 तक लालमदेसर में कार्यरत था तब पंचायत समिति कोष में 45 हजार 349 रुपए का राजस्व कम जमा हुआ। मय ब्याज यह 65 हजार 240 रुपए हो गया। ये राशि राजकोष में बाद में जमा करवाई गई। इस मामले में विकास अधिकारी ने राजस्थान सिविल सेवा नियमों के तहत 17 सीसीए के तहत नोटिस दिया। इसके बाद सीसीए 16 के तहत नोटिस दिया गया।
इसके बाद आचार्य ने एडवोकेट परमेंद्र बोहरा के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट में रिट दायर करते हुए चार्जशीट को ही चैलेंज कर दिया। आचार्य का तर्क था कि उसे चार्जशीट विकास अधिकारी ने दी है, जबकि वो सक्षम अधिकारी नहीं है। आचार्य का समायोजन मुख्य कार्यकारी अधिकारी के माध्यम से किया गया है, ऐसे में चार्जशीट देने का अधिकार भी मुख्य कार्यकारी अधिकारी को है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आचार्य को दी गई चार्जशीट पर रोक लगा दी। साथ ही पंचायत राज विभाग के सेक्रेटरी, व बीकानेर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को एक सप्ताह में इस मामले में जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं।