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बीकानेर। होली पर शहर में हर्ष और व्यास जाति के बीच  डोलची और पानी। का खेल खेला गया होली के मौके पर प्रेम और सौहार्द का प्रतीक डोलची मार खेल हर्षों की ढाल पर खेला गया जिसमें टैंकरों से पानी का इस्तेमाल किया गया। चमड़े की बनी डोलची में पानी भरकर एक-दूसरे की पीट पर वार किया गया। दोपहर दो बजे शुरू हुए खेल को देखने के लिए शहर भर के लोग हर्षों की ढाल पहुंचे। पानी की तीखी मार के बाद भी इन जातियों के लोगों के चेहरों से खुशी व प्रेम ही झलकता रहता है। खेल का रोमांच इतना होता है कि हर आयु वर्ग के लोग पानी की जंग में शरीक हुए। व्यासों के चौक से लेकर मूंधड़ा चौक, हर्षों का चौक मोहता चौक, रत्ताणी व्यासों की घाटी तक मेले का अहसास हुआ। हर्षों-व्यासों की यह पानी की जंग देखने बड़ी संख्या में महिलाएं भी छतों पर पहुंची। खेल में लालाणी-कीकाणी व्यास व हर्ष जाति के लोगों के साथ पुष्करणा समाज की कुछ अन्य जातियों के लोग भी शामिल हुए। इसमें बड़े, बुजुर्ग व बच्चों ने भी भाग लिया। खेल की समाप्ति पर गुलाल उड़ाई गई।दो घंटे की जंग के बाद जब हर्ष जाति के लोगों की ओर से व्यास जाति की इजाजत से गुलाल उछाली गई तो इसी के साथ ही एक दूसरी जाति के लिए शुरू हो जाता है गीतों का दौर। दोनों जातियों के बड़े-बुजुर्ग एक दूसरे को हाथ जोड़कर अगले वर्ष फिर इसी तिथि पर खेलने का कह कर विदाई ली। इसके बाद हर्ष जाति के लोग अमरेश्वर महादेव की पूजा करने गए। लौटते वक्त वे गेर के रूप में आए।

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