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बीकानेर,_डॉ. गौरव बिस्सा और डॉ. नवीन शर्मा ने डेयरी प्रबंधन के साझा किए कॉर्पोरेट अनुभव. डेयरी के प्रबंधन, गुणवत्ता मानकों, सस्टेनेबल डेवलपमेंट और वाटर रीसाइक्लिंग तकनीकों को सराहा_*

कॉर्पोरेट अलायन्स और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद नई दिल्ली के इंडस्ट्रियल प्रोफेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर के मैनेजमेंट विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गौरव बिस्सा और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नवीन शर्मा ने दो सप्ताह की उरमूल डेयरी में विज़िट, मार्केटिंग स्ट्रैटजीज की स्टडी और ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट के क्षेत्र में सघन इंटरव्यू आधारित सर्वे कर डेयरी प्रबंधन को अनेकानेक सुझाव प्रस्तुत किए. ट्रेनिंग अनुभव के दौरान डॉ. बिस्सा व डॉ. शर्मा ने उरमूल डेयरी के प्रबंधन, गुणवत्ता मानकों, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, और वाटर रीसाइक्लिंग तकनीकों को सराहा. जापान आधारित काइजेन एप्रोच के अनुसार संस्थाओं में निरंतर समय में छोटे-छोटे इम्प्रूवमेंट करने से प्रोडक्टिविटी व ग्रोथ बढती है. इसी एप्रोच को आधार मानकर सुझाव दिए गए हैं.

प्रस्तुतिकरण के दौरान डेयरी के प्रबंध निदेशक डॉ. एस एन पुरोहित ने कहा कि मार्केटिंग के क्षेत्र में डॉ. बिस्सा और डॉ. शर्मा के दिए सुझाव प्रशंसनीय है क्योंकि उन्होंने दूध और घी की छोटी पैकेजिंग, महिलाओं को दूध की क्वालिटी के प्रति शिक्षित करने के ट्रेनिंग कार्यक्रम और युवाओं में दूध और दूध से संबंधित उत्पादों को लोकप्रिय बनाने हेतु बहुत सटीक और सशक्त सुझाव प्रस्तुत किए हैं. क्वालिटी कंट्रोल और ह्यूमन रिसोर्स से जुड़ें, डेयरी प्रबंधक सलीम भाटी ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज के दोनों प्रोफेसर्स के माइन्यूट ऑब्जर्वेशन्स के कारण क्वालिटी कंट्रोल, सस्टेनेबल डेवलपमेंट और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी डेयरी प्रगति करती रहेंगी.

डॉ. बिस्सा और डॉ. शर्मा के प्रमुख सुझाव:*

दूध खरीदने में निर्णायक भूमिका गृहणी निभाती है, अतः महिलाओं को दूध की क्वालिटी के विषय में शिक्षित करने की आवश्यकता है.

घी, दूध और पनीर की छोटी पैकेजिंग आवश्यक.

पब्लिसिटी हेतु विविध क्षेत्र के प्रभावशील 20 ब्रैंड एम्बेसडर्स की टीम का गठन.

कैमल मिल्क और कैमल मिल्क पाउडर को इम्युनिटी बूस्टर के रूप में प्रचारित करने की आवश्यकता.

स्कूलस के साथ टाइअप और विद्यार्थियों को दूध के उत्पादों को खरीदने को फैशन बनाने की मुहिम.

फ्लेवर्ड मिल्क और फ्लेवर्ड बटर के निर्माण पर बल दिया जाए, ताकि मार्केट सेगमेंटेशन, टार्गेटिंग, व पोजिशनिंग स्ट्रेटेजी के तहत हर वर्ग में पहुँच हो.

अखबार विक्रेताओं के साथ टाई अप करके सरस दूध को जन जन तक पहुंचाने का कार्य आवश्यक, ताकि डेयरी बूथ तक ना जा सकने वालों को घर बैठे दूध, दही व पनीर की उपलब्धता सुनिश्चित हो.

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