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बीकानेर। नई आबकारी नीति ने ठेकेदारों का शराब बेचान के कारोबार से मोहभंग कर दिया है। सरकार व आबकारी विभाग भले ही इसे ठेकेदारों की सहूलियत बता रहा है, लेकिन नई नीति ने ठेकेदारों के सपनों को तोड़ दिया है। यही वजह है कि ठेकेदार अब इस कारोबार में रुचि दिखाते नजर नहीं आ रहे। दुकानों का नवीनीकरण कराने की अंतिम तिथि बीतने तक जिले में केवल 86 ठेकेदारों ने दुकानों का नवीनीकरण कराया है। सरकार शराब कारोबारियों को बार-बार रिझाने का प्रयास कर रही है। नवीनीकरण का मौका देने के बावजूद पूरी दुकानें नहीं उठ सकी हैं। ठेकेदारों ने खामियों के चलते नवीनीकरण नहीं कराया। राजस्थान में शराब की दुकान लेने के लिए कभी लाखों लोग भाग्य आजमाते थे, लेकिन अब स्थिति उलट है। शराब की दुकानों को लेने के लिए कोई आगे आता नजर नहीं आ रहा है, जो लोग मौजूदा समय में शराब की दुकानें चला रहे है, वह भी अब अगले साल के लिए दुकान लेने को राजी नहीं हैं। शराब कारोबारी सरकार की नई नीति का विरोध कर रहे हैं। पूर्व में दुकानें नवीनीकरण कराने की अंतिम तिथि 7 मार्च रखी थी, लेकिन ठेकेदारों ने रुचि नहीं दिखाई। इस पर विभाग ने इसकी तिथि बढ़ाकर 11 मार्च दी, लेकिन इसके बाद भी जिले में पूरी दुकान नहीं उठ सकीं।

सरकार ने इस बार जो नई आबकारी पॉलिसी जारी की है। उसमें मौजूदा शराब कारोबारियों को शराब की दुकानों का लाइसेंस रिन्यू करने का मौका दिया है। यानि उन दुकानों को नीलाम करने से पहले ठेका संचालकों को मौका दिया है कि वे चाहें तो दुबारा यह दुकान अगले 2 साल के लिए ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें लाइसेंस का नवीनीकरण कराना होगा। लाइसेंस नवीनीकरण दुकान की नीलामी दर पर किया जाएगा। यानि जिस दुकान को पिछले साल निलामी में जिस रेट या पूरे साल में जो शराब उठाई उसकी राशि (दोनों में से जो ज्यादा हो) उसे आधार मानते हुए किया जाएगा।

शराब ठेकेदारों का कहना है कि सरकार ने कई तरह के नियम लगा दिए हैं, जिससे दुकान संचालकों को भारी नुकसान हो रहा है। सरकार ने लाइसेंस नवीनीकरण में कम्पोजिट फीस भी लगाने का फैसला किया है। इस फीस को हमने सरकार से हटाने की मांग की थी। यदि ऐसा सरकार नहीं करती है तो इस राशि को शराब खरीद में समायोजित करते हुए इसे गारंटी राशि में शामिल करें, लेकिन सरकार ने इसे गारंटी राशि में शामिल नहीं किया है। इसके चलते ठेकेदार दुकान नवीनीकरण कराने में रुचि नहीं ले रहे।

– दुकानों की संख्या अधिक होने के कारण बिक्री कम होना।
– आबकारी ड्यूटी को कम करने से पेटियों की संख्या बढऩा।
– आबकारी नीति का दो वर्ष के लिए नवीनीकरण होना और इस वर्ष 10 प्रतिशत और अगले वर्ष 15 प्रतिशत से नवीनीकरण करना।
– धरोहर राशि 2 से 5 प्रतिशत करने से दुकान की लागत में वृद्धि होना।
– कंपोजिट फीस लगाना, जबकि गारंटी में कंपोजिट फीस का कोई औचित्य नहीं है।

जिले में शराब की दुकानें 226
86 दुकानदारों ने कराया नवीनीकरण
140 दुकानों की होगी ई-नीलामी
अब तक 113 करोड़ का रेवेन्यू अर्जित
ई-नीलामी का पहला चरण 22 से 25 मार्च तक
दूसरा चरण 29 से 30 मार्च तक चलेगा

इनका कहना है
जिले की 226 दुकानों में से 109 को नवीनीकरण के योग्य माना लेकिन 86 ठेकेदारों ने नवीनीकरण कराया है। शेष 140 दुकानों की ई-निलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दो चरणों में नीलामी होगी।
डॉ. भवानीसिंह राठौड़, जिला आबकारी अधिकारी

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