जयपुर। राजस्थान में कोरोना का संक्रमण अब कंट्रोल में आ गया है। अप्रैल-मई में आई दूसरी लहर ने जिस तरह कहर बरपाया था और हर रोज 15 से 18
हजार नए केस मिल रहे थे, इसके मुकाबले अब 100 से भी कम मरीज रोजाना आ रहे हैं। 6 जुलाई को प्रदेश में केवल 47 केस ही मिले, जो पिछले 14
माह में मिले केसों में सबसे कम है। पहली लहर का जनवरी-फरवरी में जब डाउनफॉल आया था, तब सरकार ने सभी गतिविधियों जैसे स्कूल, सिनेमा,
शादी-समारोह को पूरी तरह अनलॉक कर दिया था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। वीकेण्ड और नाइट कफ्र्यू के अलावा स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघर सहित
कई संस्थाएं पूरी तरह बंद है और कई अन्य पाबंदियां हैं लागू है। इसके पीछे कारण कोराना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस का डर है। एक्सपर्ट के अनुसार
अभी कुछ समय तक पाबंदियां जारी रह सकती हैं।
पहली लहर के डाउनफॉल के एक माह में दूसरी लहर
पहली लहर के डाउनफॉल आने के बाद दूसरी लहर महज एक माह के अंतराल में ही आ गई थी, उसे देखकर सरकार और विशेषज्ञ मान कर चल रहे हैं
कि कोरोना की तीसरी लहर जल्द आ सकती है। कई विशेषज्ञ और एजेंसियां ये मान रही है कि तीसरी लहर अगस्त-सितंबर में आ सकती है। ऐसे में उन्हो
ंने इस तीसरी लहर के खतरे को कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों के वैक्सीनेशन की जरूरत बताई है।
पहली लहर में यूं आया डाउनफॉल
डेल्टा वैरिएंट ने मचाई थी तबाही
राजस्थान सहित देश के ज्यादातर राज्यों में अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर के लिए नए वैरिएंट डेल्टा प्लस को जिम्मेदार माना गया। पहली लहर के
बाद दूसरी लहर इतनी जल्दी आएगी, इसका अंदाजा भी किसी ने नहीं लगाया था और न ही ये अनुमान लगा पाए थे कि यह इतनी घातक होगी। यही क
ारण रहा कि इस बार दूसरी लहर में बुजुर्गों के साथ-साथ यंग एज ग्रुप के लोग भी इसकी चपेट में आए। पिछले दिनों अमेरिका के सबसे बड़े महामारी ए
क्सपर्ट एंथनी फौची ने भी डेल्टा वैरिएंट को ज्यादा खतरनाक माना है। फौची का कहना है कि कोरोना संक्रमण खत्म करने की कोशिशों पर डेल्टा वैरिएंट
सबसे बड़ा खतरा है। उनका कहना है कि कोरोना के ओरिजिनल वैरिएंट के मुकाबले डेल्टा वैरिएंट काफी तेजी से फैलता है। इससे बीमारी की गंभीरता भी
बढ़ जाती है।