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बीकानेर,शहर की हवा कितनी शुद्ध है। इसमें कितने तरह के गैसीय तत्व होते हैं। उनकी स्टैंडर्ड मात्रा कितनी होनी चाहिए तथा निर्धारित मात्रा से यह कितनी ज्यादा है। इन सब की जानकारी जल्दी ही मिलने लगेगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर शहर में सीएएक्यूएमएस यानी कंटीन्युअस एंबीएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लगाने की तैयारी की जा रही है। करीब डेढ़ करोड़ की लागत की यह मशीन शहर के एमएम ग्राउंड में लगाई जाएगी। यह मशीन हवा में करीब डेढ़ किलोमीटर का एयरियल डिस्टेंस कवर करेगी। इसका फांडेशन तैयार हो चुका है।

यह सिस्टम 9 पैरामीटर पर हवा में प्रदूषण के स्तर की जानकारी देगा। हवा में कार्बनडाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन और वातवरण में मौजूद अन्य गैसों की मात्रा की जानकारी एक बिग स्क्रीन पर देखी जा सकेगी। यह स्क्रीन एमएम ग्राउंड और कलेक्ट्रेट परिसर दो स्थानों पर लगाई जाएगी। इस पर हर घंटे हवा में प्रदूषण के स्तर का स्तर डिस्प्ले होगा। प्रदेश में जयपुर, अलवर, भिवाड़ी, कोटा, उदयपुर और जोधपुर में यह सिस्टम लग चुका है। बजट घोषणा के तहत अब इसे प्रदेश के हर जिले में लगाने की तैयारी की जा रही है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को रीडिंग के आधार पर छह कैटेगरी में बांटा गया है। 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। यदि एक साल तक प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहता है तो नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम चलाया जाएगा। इसके तहत प्रदूषण की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार बजट देती है। रोकथाम की जिम्मेदारी नगर निगम, यूआईटी, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की होती है। इंडस्ट्रीज की नियमित मॉनिटरिंग की जाती है। प्रदेश के कोटा, उदयपुर, जोधपुर, जयपुर और अलवर में प्रदूषण का स्तर अधिक होने के कारण वहां यह प्रोग्राम चल रहा है।

1. बार-बार खुदने वाली सड़कें और नालियों की सफाई से उड़ने वाली धूल।
2. वाहनों वे मेंटेनेंस नहीं होने के कारण वाहनों से निकलने वाला अधजला धुआं।
3. औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं।

शहर में वायु प्रदूषण की समस्या पुरानी है। रीको एरिया के रानी बाजार, बीछवाल और श्रीगंगानगर रोड पर दो हजार से अधिक फैक्ट्रियां हैं, जिनमें पीओपी फैक्ट्रियों भी बड़ी संख्या में है। पॉल्यूशन विभाग के पास इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण के स्तर पर नापने के लिए ऑटोमेटिक मशीन नहीं है। ये फैक्ट्रियां रोजाना हवा में कितना जहर घोल रही है इसका पता लगाना मुश्किल है। ऐसे में इन फैक्ट्रियों पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती। इस मशीन के लगने से औद्योगिक और रिहायशी इलाकों का भी प्रदूषण स्तर जांच सकेंगे। जिन औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ा हुआ मिलेगा वहां पर इसके कारणों का पता लगाया जाएगा। नियम विरुद्ध चल रही फैक्ट्रियों के विरुद्ध कार्रवाई में मदद मिलेगी।कलेक्ट्रेट में इसलिए लगेगी स्क्रीन क्योंकि सबसे ज्यादा 10 हजार लोग रोज यहां आते हैं : यह मशीन एक कमरे जितनी बड़ी होती है, जो खुले स्थान पर लगाई जाती है। इसमें कंप्यूटर सिस्टम और सेंसर लगे होते हैं। सेंसर को छूकर जब हवा निकलती है तो सेंसर हवा में पीएम, एसओ2 कार्बन मोनो ऑक्साइड, जनरल वायु प्रदूषण के पैरामीटर्स को चेक करेगा। इसके बाद डाटा मशीन में लगे कंप्यूटर को भेजेगा। कंप्यूटर वायु प्रदूषण का एयर क्वालिटी इंडेक्स निकालेगा और इसे बाहर लगी स्क्रीन पर दिखाएगा। एमएम ग्राउंड के अलावा कलेक्ट्रेट में भी एक स्क्रीन लगाई जाएगी।

पहले प्रदूषण का स्तर मैन्युअल सिस्टम से मापा जाता था। इस प्रक्रिया में चार से आठ घंटे लगते थे। लेकिन हाईटेक सिस्टम लगाने के बाद तुंरत ही पता चल जाए कि किस क्षेत्र में कितना प्रदूषण बढ़ रहा है। सीएएक्यूएसएस से धूलकण और गैस के दो-दो पैरामीटर, तापमान और आर्द्रता की जानकारी मिलेगी। इस तरह धूलकरणों के लिए पीएम 10 और पीएम 2.5 की जानकारी मिल सकेगी। गैस के तौर पर सल्फर डाई ऑक्साइड(एसओ 2) और नाइट्रोजनडाई ऑक्साइड(एनओ 2) की जानकारी मिलेगी। हवा की दिशा और गति का भी पता चलेगा।

एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में
1. पीएम 10 – 100
2. पीएम 2.5 – 60
3. एसओ 2 – 80
4. एनओ 2 – 80
5. सीओ 2 – 80
6. अमोनिया – 400
7. ऑजोन 180
8. बेंजिंम – 5
9. सीओ – 4 (मिमी प्रति क्यूब)

सांस लेने के लिए हवा के पैरामीटर : सीएएक्यूएमएस में जरूरत के अनुसार पैरामीटर बढ़ाया जा सकता है। हालांकि डिस्प्ले में सभी पैरामीटर नहीं दिख जाएंगे। सांस लेने के लिए हवा में पीएम 10 की अधिकम सीमा 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और 2.5 की अधिकतम सीमा 60 होनी चाहिए, लेकिन शहर की हवा में इसकी मात्रा तय सीमा से ज्यादा रहती है। इसी तरह एसओट2 और एनओट2 अधिकतम सीमा 80 निर्धारित है।

कंटीन्युअस एंबीएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम जल्द ही एमएम ग्राउंड में स्थापित कर दिया जाएगा। शहर का हर नागरिक हवा में प्रदूषण का स्तर स्क्रीन पर देख सकेगा। एमएम ग्राउंड और कलेक्ट्रेट दोनों जगह स्क्रीन लगाई जाएगी।
डॉ. भूपेंद्र सोनी, प्रभारी, पॉल्यूशन कंट्रोल लैब

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