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श्रीगंगानगर सेना और अन्य सुरक्षा बलों की आड़ लेकर शहरी क्षेत्र में दुकानदारों के साथ ठगी करने वाले गिरोह अब ग्रामीण क्षेत्र शिकार बनाने लगे हैं। ठगी के लिए इन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया है। उस पर यह लोग पुराना ट्रैक्टर या कोई और कृषि यंत्र बेचने का विज्ञापन करते हैं। बेचने वाला स्वयं को सैन्य कर्मी बताता है, इसलिए ग्रामीण उस पर सहज विश्वास कर लेते हैं और झांसे में आकर ठगी का शिकार हो जाते हैं।

ऐसे ही एक ढंग गिरोह का शिकार हुआ है सूरतगढ़ तहसील के गांव पंद्रह एसजीआर का भोलामाला ग्रामीण पवन कुमार इसने सोशल मीडिया पर में भोलेभाले ग्रामीणों को ठगी का रायसिंहनगर तहसील के गांव 28 आरबी के बहादुर सिंह पुत्र रानादहीरा सिंह का विज्ञापन देखा जो पुराना ट्रैक्टर बेचने के संबंध में था। ट्रैक्टर खरीदने की इच्छा जाहिर करने पर बहादुरसिंह ने अपना मोबाइल नंबर पवन कुमार को भेज के जरिए आने वाले दिया। बातचीत हुई तो 2014 मॉडल रूपए भी उसी आका के ट्रैक्टर का सौदा डेढ़ लाख में हुआ। स्वयं को सैन्य कर्मी बताने वाले बहादुर सिंह ने तब ट्रैक्टर की होते हैं। डिलीवरी के नाम पर चार हजार रुपए मांगे जो उसके बताए हुए खाते में जमा करवा दिए गए।

कथित सैन्य कम बहादुरसिंह अब स्वयं को इंदौर में बता रहा है। उसने मोबाइल नंबर भी बदल लिए हैं। ट्रैक्टर खरीदने का कहने पर वह पहले पूछताछ करता है। उसके बाद ट्रैक्टर इंदौर में मिलेट्री स्टेशन में होने की बात कहता है। बस यहीं उसके फर्जी होने पर मुहर लग जाती है। कोई कहता है कि सेना के साधन से करने लायक है कि पैसे जमा सैन्य कर्मों जो स्वयं श्रीगंगानगर जिले का निवासी बता रहा है वह ट्रैक्टर इंदौर क्यों ले जाएगा? दूसरा यह कि वह मिलेट्री स्टेशन में अपना ट्रैक्टर किस हैसियत से रख सकता है। ट्रैक्टर खरीदने का प्रस्ताव रखने पर यह ठग यह कहता है कि सेना के साधन से आपके घर तक ट्रैक्टर पहुंचा दिया जाएगा और उसका कोई खर्चा नहीं लिया जाएगा। मतलब जबकि चौरसिया जाति साफ है कि यह ढंग अचल दर्जे का मूर्ख है और भोलेभाले ग्रामीणों को ही अपने जाल में फसा रहा है एक बात और गौर करने लायक है पैसे जमाकर वाने के लिए यह ठग हर्षित चौरसिया का खाता नंबर बताता है श्रीगंगानगर जिले में है ही नहीं। अलबत्ता उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में इस जाति के लोग बहुतायत मैं है।

इस ठग की बातें सुनकर अंदाजा है कि इसका आका कोई और है। उसी ने इसे ठगी के गुर सिखाए हैं और ठगी के बताए हुए खाते में जमा होते है। ठगी के शिकार हुए ग्रामीण का कहना है कि ट्रैक्टर की डिलीवरी नहीं हुई तो उसने बहादुर सिंह से संपर्क किया। तब उसने और पैसे जमा करवाने की मांग की। साथ ही यह धमकी भी दी कि पैसे जमा नहीं करवाए तो 27 हजार रुपए की पेनल्टी लग जाएगी और छह महीने की जेल भी हो जाएगी। इस धमकी से यह ग्रामीण डर गया और उसने पचपन हजार रुपए ठग के बताए खाते में जमा करवा दिए। उसके बाद न तो ट्रैक्टर की डिलीवरी मिली और न ही कथित सैन्य कमी का मोबाइल नंबर

ठगी के इस मामले से पहले दो मामले श्रीगंगानगर में सामने आए थे। एक मामले में राजीव रंजन ने स्वयं को श्रीगंगानगर मिलेट्री स्टेशन में तैनात बताकर एक स्टेशनरी विक्रेता से पचास हजार से अधिक की ठगी कर हजार स ली। दूसरे मामले में कुलदीपसिंह नामक व्यक्ति ने स्वयं को बीएसएफ के श्रीगंगानगर स्थित बटालियन मुख्यालय में तैनात बता कर एक हैंडलूम विक्रेता से ₹26000 की ठगी कर ली यह दोनों मामले साइबर सेल में दर्ज है। पवन कुमार को ठगी का शिकार बनाने वाले भी स्वयं को सेना और सीआरपीएफ के कर्मचारी बता रहे हैं। पुलिस ऐसे मामलों को दर्ज कर छोड़ देती है। चूंकि ठगो सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के कर्मचारी बनकर की जा रही है तो इसे गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। सेना के लिए इन ठगों का नेटवर्क ध्वस्त करना मुश्किल भी नहीं है क्योंकि हैण्डलूम विक्रेता से छब्बीस उसके पास ऐसा साजोसामन हजार रुपए की ठगी कर ली। और नेटवर्क है कि ठगों को कुछ यह दोनों मामले साइबर सेल में ही घंटों में दबोचा जा सकता है।

ग्रामीण का विश्वास जीतने के लिए ठग ने अपना तथा दस केएनडी रावला व टोंक जिले जानकी वल्लभपुरा निवासी युवकों के आधार कार्ड तथा सीआईएसएफ के एक कांस्टेबल चालक के परिचय पत्र की कॉपी भी दी। बहादुर सिंह के नाम से डीटीओ श्रीगंगानगर की ओर से जारी आरसी की कॉपी भी पवन कुमार को दी गई। बेचने वाले के सैन्य कर्मी होने और इतने सारे प्रमाण देने से इस ग्रामीण को विश्वास हो गया कि सेना का जवान है तो सौदा सच्चा ही होगा।

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