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बीकानेर,बैंकों मे फर्जी खाते खोलकर आमजन के साथ करोड़ों रुपए हड़पने एवं धोखाधड़ी करने वाले को स्पेशल ऑफ ग्रुप (एसओजी) ने पकड़ लिया है। आरोपी से पुलिस पूछताछ कर रही है।
एसओजी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश किलानियां के नेतृत्व में मंगलवार को टीम बीकानेर पहुंची। एसओजी टीम ने गंगाशहर निवासी मनीष पुत्र लूणकरन छाजेड़ को गिरफ्तार किया है। आरोपी को कोटगेट थाने में रखा गया है, जिससे पूछताछ की जा रही है। कोटगेट सीआइ मनोज माचरा ने बताया कि कोटगेट थाने में दर्ज 33 नंबर मुकदमें में गिरफ्तार किया गया है। यह मामला मुरलीधर कॉलोनी निवासी सुनील सोनी ने मामला दर्ज कराया था।

मुरलीधर व्यास कॉलोनी निवासी सुनील सोनी ने दो मामले दर्ज कराए थे। बैंक ऑफ बड़ौदा की स्टेशन रोड ब्रांच में उसके खाते से कोमोडिटी ट्रांजेक्शन (एमपीएक्स) प्लेटफार्म पर किए गए हैं। 2010-11 के दौरान अलग-अलग तारीखों में 79 लाख 41 हजार 465 रुपए का लेन देन किया जबकि उसका बैंक में खाता ही नहीं था। आयकर विभाग ने परिवादी को 2017 में नोटिस जारी कर खाते से ट्रांजेक्शन करने पर 63 लाख 54 हजार 560 रुपए जमा कराने की हिदायत दी थी। सुनील ने 22 जनवरी 2018 को प्रबंधन आरएस क्रेडिट प्रालि., प्रबंधन बैंक ऑफ बड़ौदा, धर्मचंद बोथरा, विनोद कुमार व एक अज्ञात बैंककर्मी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था।

आईसीआईसीआई बैंक में सुनील की स्व. पत्नी सुमित्रा सोनी के बैंक खाते में 2009-10 के बीच 93 लाख 32 हजार 900 रुपए जमा हुए। उसमें से तीन लाख 74 हजार 650 रुपए निकाले गए। यह लेनदेन कोमोडिटी ब्रेकर्स मैसर्स आरएस क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड़ ने आरटीजीएस व चेक से किया था। आय कर विभाग ने 22 दिसंबर 17 को 74 लाख 65 हजार 110 रुपए जमा कराने का नोटिस दिया था।

पीड़ित सुनील ने आयकर विभाग से नोटिस मिलने के बाद कोमोडिटी फर्म और आयकर विभाग से डिटेल निकलवाई। डिटेल में पता चला कि उसकी पत्नी के नाम से मिलते-जुलते नाम पर बैंक में फर्जी खाता खुलवा कर कोमोडिटी ट्रांजेक्शन किया गया। इसमें बैंककर्मियों की भी मिलीभगत सामने आई थी। सुनील ने आरएस क्रेडिट प्रा.लि. के मालिक व कर्मचारी कन्हैयालाल, नरेश, अशोक, सुमित दुग्गड़ आईसीआईसीआई बैंक की स्टेशन शाखा के मैनेजर व एक अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

सुनील की ओर से दर्ज कराए गए धोखाधड़ी के मामले की तीन बार जांच हो चुकी है। पहले उप निरीक्षक, फिर पुलिस निरीक्षक ने की। बाद में इस मामले की जांस सीआईडी-सीबी को सौंपी गई। इसके बाद मामले की जांच एसओजी को सौंपी गई ।

पुलिस, सीआईडी-सीबी ने जांच में आरोपी मनीष को दोषी माना था। इसके बावजूद वह पुलिस की गिरफ्तारी से बचता रहा। अब एसओजी के पास जांच आई। एसओजी ने आठ महीने की मशक्कत कर आरोपी मनीष को आखिरकार गिरफ्तार कर ही लिया।

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