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बीकानेर,पीबीएम हॉस्पिटल की राधा किशन मिंडाराम दम्माणी राजकीय इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ एलाइड एंड न्यूरो साइंसेज विंग में मानसिक रोगियों के साथ नशे के आदी लोगों की लगातार बढ़ती संख्या चौंकाने वाली है। पड़ताल की तो सामने आया कि यहां आउटडोर में सालाना करीब 11 फीसदी मरीज सिर्फ नशे की लत वाले आते हैं।

पिछले साल यानी 2019-20 में 7765 मरीज नशा छुड़ाने यहां आए थे, जबकि 20-21 में 5911 मरीज आए। पिछले वित्तीय वर्ष में ये आंकड़े इसलिए कम हैं क्योंकि कोरोना के चलते कई मरीज यहां नहीं आ सके थे। हर साल हाॅस्पिटल आने वाले मरीजों में करीब 500 महिलाएं-युवतियां भी हैं।

कुछ महिलाओं के परिजन शर्मिंदगी के चलते दूसरे राज्यों से यहां आकर इलाज करवा रहे हैं। इस विंग में रोजाना करीब 200 मरीजों का आउटडोर होता है, जिसमें 15-20 मरीज नशे की लत वाले होते हैं। इनमें से औसत 5 से 8 मरीज रोज भर्ती किए जाते हैं।

खतरनाक: 11 हजार तक पहुंची मरीजों की संख्या
वर्ष 2015 और 2016 में नशे की लत से परेशान मरीजों की संख्या सबसे अधिक थी। हॉस्पिटल के आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2014 में मरीजों की संख्या 5094 थी। वहीं 2015 में 11730, वर्ष 2016 में 11480, वर्ष 2017 में 5661 तथा वर्ष 2018 में 7992 मरीज रिपोर्ट हुए थे।

नोखा निवासी 32 वर्षीय युवक को पिछले एक माह से ठीक से नींद नहीं आ रही है। उसकी भूख भी मर चुकी है। दिन की शुरुआत शराब के साथ करने वाले इस युवक ने अब शराब छोड़ने का इरादा किया है। फिलहाल वह हॉस्पिटल में भर्ती है। डॉक्टरों के अनुसार, युवक का लिवर 50 फीसदी खराब हो चुका है। नशे का असर शरीर के कई अंगों पर पड़ा है।

नापासर क्षेत्र का 50 वर्षीय अधेड़ शराब छोड़ने के लिए हॉस्पिटल आया है। उसने बताया कि सालों से उसे शराब की लत थी, लेकिन अब वह इसे छोड़ना चाहता है। उसने बताया कि केंद्र में डॉक्टर शराब छुड़ाने के लिए रोजाना मनोबल बढ़ा रहे हैं। आत्मविश्वास से कहा कि अब नशा नहीं करूंगा।

पंजाब की युवती पिछले कुछ महीनों से स्मैक का नशा कर रही थी। उसके बॉयफ्रेंड व हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों की संगत से उसे स्मैक लेने की लत लग गई। युवती के परिजन शर्मिंदगी के चलते बीकानेर आकर उसका इलाज करवा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि युवती नशा छुड़ाने में सपोर्ट कर रही है, जल्द ठीक हो जाएगी।

पिछले दिनों बीकानेर में मिशन अगेंस्ट नारकोटिक सबस्टेंस एब्यूज (मनसा) के तहत आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं के अनुसार भारत देश में सालाना में सालाना करीब दस लाख लोगों की नशे की लत के कारण मौत हो जाती है। संभाग के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले में नशाखोरी परवान पर है। युवा वर्ग चूरू और बीकानेर भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। जागरुकता अभियान के तहत आयोजित हुई विभिन्न गतिविधियों के तहत नशा करने के दुष्परिणाम और उससे मुक्त होने के तरीकों के बारे में बताया गया था।

महिलाएं इस हॉस्पिटल में शराब, डोडा पोस्त, भांग, गांजा, ड्रग्स, स्मैक, बीड़ी-सिगरेट के साथ-साथ मुल्तानी मिट्टी, चाक, तम्बाकू, जर्दा, बीड़ी-सिगरेट, स्मैक आदि छोड़ने डाॅक्टरों से परामर्श और चिकित्सा ले रही हैं।

नशे की लत छुड़ाने के लिए जितनी दवा जरूरी, उतना ही मरीजों से प्रेम और उनका आत्मबल बढ़ाना है: बिश्नोई

अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को नशे से होने वाले नुकसान बताएं। उन्हें बताएं कि नशा आर्थिक और मानसिक रूप से व्यक्ति को कमजोर करता है। शराब के आदी मरीजों के लीवर में सूजन आना, खाने में अपच, पेट में अल्सर, पेट संबंधी गंभीर रोग, मिर्गी के दौरे, घरेलू हिंसा सरीखी समस्या देखने को मिलती है। डोडा पोस्त और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन वाले मरीजों में आत्महत्या के विचार, सामाजिक व घरेलू हिंसा की प्रवृत्ति पैदा होना मुख्य कारण है। ऐसे में किसी भी नशे के आदी व्यक्ति को हीन भावना से देखने की बजाय उसे प्यार से समझाएं, ताकि वह नशा छोड़ने की पहल करे। अपने बेटे-बेटियों पर नजर रखें उसके दोस्त और संगत अच्छी हो इस बात का विशेष ध्यान रखें। शारीरिक श्रम करवाएं, ताकि शरीर स्वस्थ रहे। नशे की लत होने पर मनोरोग विशेषज्ञ को दिखाएं ताकि समय पर इलाज शुरू किया जा सके। नशे के आदी युवक-युवतियों के आंकड़े चिंताजनक हैं। हर साल करीब 7000 नए मरीज हॉस्पिटल इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जिनमें महिलाएं भी हैं। लेकिन ये सच है कि अगर कोई नशे की लत से किनारा करना चाहे तो असंभव कुछ भी नहीं है। – डॉ. हरफूल बिश्नोई, एचओडी एवं प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ एलाइड एंड न्यूरो साइंसेज विंग

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