बीकानेर,इस बार वेस्टर्न डिस्टरबेंस ने बीकानेर के किसानों की उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया है। तेज हवा और अंधड़ के चलते बीकानेर के सैकड़ों किसानों की फसल चौपट हाे गई है। सबसे ज्यादा चने की फसल बर्बाद हुई है जबकि गेहूं, सरसों की फसल को भी बहुत नुकसान हुआ है। इस सीजन में रबी की फसल खराब होने के बाद अब खरीफ की फसल पर फिर जुआं खेलना पड़ेगा।
फरवरी में तीन-चार दिन चली तेज आंधी ने किसानों को नुकसान पहुंचाया है। इसी दौरान फसल में कीड़ा भी लगा। इससे फसलें बर्बाद हो गई। किसानों ने चने की फसल सबसे ज्यादा बोई थी। गेंहू,सरसों की फसलें भी खेत में तैयार खड़ी थी लेकिन इस बीच अंधड़ ने इनको भी काफी नुकसान पहुंचाया है।
लूणकरणसर के खोखराणा, रोझा व सहनीवाला, खिलेरिया, लालेरा, आलोदा, डेलाणा छोटा,डेलाणा बड़ा, फूलदेसर सिंगास ग्राम पंचायतों के गांवों के किसानों ने बुधवार को लूणकरणसर उपखंड कार्यालय पर प्रदर्शन किया। इनके अलावा भी कई गांवों में तेज आंधी के कारण फसलों को नुकसान हुआ। रही सही कसर बुधवार को आई आंधी ने पूरी कर दी। कस्बे के आसपास स्थित गांवों में भी फसलों को नुकसान हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक बीस से तीस गांवों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है। यहां सब जगह चना, गेहूं व सरसों की फसल थी।पहले पानी कम, अब हवा तेज
किसानों का कहना है कि इंदिरा गांधी नहर से पानी कम मिला। ऐसे में फसलों को बड़ी मुश्किल से तैयार किया था। अब अचानक से आंधी और तूफान ने जड़ से ही फसलों को उखाड़ दिया। कई जगह कीड़ा लग गया, जिससे खराबा हुआ। अब इन फसलों के फिर से तैयार होने की उम्मीद नहीं है।
अब मुआवजे की लड़ाई
फसल खराब होने से आर्थिक नुकसान में आए किसान अब सर्वे करवाकर मुआवजा की मांग कर रहे हैं। इन किसानोां ने बुधवार को SDM कार्यालय के आगे प्रदर्शन किया। खराब हुए चने को हाथ में लहराते हुए किसानों ने काफी देर तक उपखंड कार्यालय के आगे प्रदर्शन किया। ग्राम पंचायत खोखराणा, सहनीवाला व रोझा के खिलेरिया, खोखराणा, लालेरा, आलोदा,रोझा,डेलाणा छोटा,डेलाणा बड़ा,फूलदेसर सिंगास, सहनीवाला, फूलदेसर सहित सीमावर्ती क्षेत्र के अनेक गांवों से आए किसानों ने चने, सरसों की फसल का सर्वे करवाने की मांग रखी।
इन किसानों का आक्रोश
सरकार से राहत की मांग कर रहे किसानों में पूर्व सरपंच रिछपाल कड़वासरा, सोहनलाल गोदारा,राजेश रोझ, सुभाष कड़वासरा, कालूराम सियाग,ओमप्रकाश रोझ, सीताराम, रामेश्वर खिलेरी, सीताराम, जगदीश सियाग, बीरबल राम मेघवाल, मामराज मेघवाल, डूंगरराम नायक, गणपतराम मेघवाल, भीयाराम गोदारा,रामलाल रोझ आदि शामिल थे।