बीकानेर,किसी भी सामाजिक आंदोलन का सफलता के मुकाम पर पहुंचाना उसके जनजुड़ाव पर निर्भर करता है। अपार जनसमूह के हित में धार्मिक आस्था के साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति पर्यावरण संरक्षण के लिए गाय-गोचर बचाने की मुहिम शुरू की गई। करीब डेढ़ महीने पहले गोचर-ओरण भूमि के अतिक्रमियों को पट्टे जारी करने की सरकारी मंशा सामने आई, तो विरोध के स्वर उठने लगे। सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व करते रहे पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी गाय-गोचर के लिए फिर आगे आए। इसी के साथ गोचर भूमि पर बेमियादी अनशन के साथ आंदोलन शुरू हुआ, जो सिरे चढ़ा और रहते। राजस्थान सरकार को अपने निर्णय बदलने पर मजबूर तो किया ही, साथ ही संरक्षण के लिए काम करने के लिए बाध्य करने में सफल रहे।
गोचर बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक की जिम्मेदारी देवकिशन चांडक देव श्री को मिली, तो आमजन को इस आंदोलन से जोड़ने के लिए प्रयास किए। जिसमें सफलता मिली और महिलाएं और साधु-संत जुटने लगे, तो हौसला भी बढ़ता गया। आम जन के सहयोग से गोचर भूमि की चारदीवार निर्माण का कार्य पहले से ही चल रहा है।
जब राज्य सरकार ने पट्टे काटने की घोषणा की तो चारदीवारी निर्माण का कार्य धीमा पड़ गया। साथ ही गोचर बचाने पर भी संकट आ खड़ा हुआ। ऐसे में देवीसिंह भाटी के जीवटता भरे निर्णय ने दिशा दिखाई। सनातन धर्म प्रेमियों के साथ ही गो माता की रक्षार्थ साधु संतों ने समर्थन देकर वातावरण धर्ममय बना दिया। संतों के कथावाचन ने सैकड़ों लोगों को आंदोलन से जोड़ दिया। आलम यह रहता था कि शहर व ग्रामीण क्षेत्रों से आए महिला और पुरुष दिनभर डटे रहते।
गोचर को बचाने के लिए जब रैली निकालने की बात आई। तो सभी ने अपूर्व उत्साह के साथ भागीदारी निभाकर उसे ऐतिहासिक, बना दिया। धर्म के प्रति लोगों का विश्वास बीकानेर में जड़ों तक गहरा. है। यही हमारी सरकार से जीत का कारण रहा। आंदोलन के दौरान रात को हमारी टोली निकलती और शहर में गोमाता की रक्षा के लिए लोगों से जुड़ने का आह्वान करती। इससे लोगों का जुड़ाव बढ़ता ही गया। सही मायनों में आने वाले समय में इस परिणाम के बाद जहां गोचर सुरक्षित रहेगी। वहीं गायों के लिए पानी व चारे की व्यवस्था भी सम्भव हो पाएगी। इससे गोवंश भी बचेगा व समूचे राज्य में गोचर व गायों को बचाने के लिए नई मिसाल बनेगी।