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बीकानेर,आधुनिक भारतीय इतिहास में एक समय ऐसा भी था जब राजस्थान की ब्रिटिश प्रांतों में बाल विवाह विरोधी शारदा एक्ट क्रियान्वित होने के पश्चात माता-पिता भारतीय प्रांतों में जाकर नकली चिकित्सीय प्रमाण पत्र और जन्म कुंडली बनवा कर चोरी छिपे अपने बच्चों के बाल विवाह संपादित करने लगे। इन स्थितियों के मद्देनजर आर्य समाज ने सुधार हेतु कदम बढ़ाए और 1938 में शारदा एक्ट में संशोधन करते हुए ब्रिटिश प्रांतों से भारतीय प्रांतों में जाकर बाल विवाह करने या करवाने वाले लोगों हेतु दंड का प्रावधान किया। रियासतों में बाल विवाह विरोधी गुट निर्मित किए गए जो बुद्धिजीवी वर्ग के सहयोग से बाल विवाह जैसी कुप्रथा के दुष्परिणामों से जनमानस को अवगत करवाते थे।

उक्त विचार एमजीएसयू में इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ मेघना शर्मा ने जेंडर बेस्ड रिफॉर्म्स ऑफ दयानंद इन मॉडर्न हिस्ट्री ऑफ राजस्थान विषयक अपने पत्र का वाचन करते हुए जोधपुर के महिला महाविद्यालय द्वारा आयोजित राजस्थान हिस्ट्री कांग्रेस के 36 में अधिवेशन में अपनी बात रखी।

इसके अतिरिक्त डॉ मेघना द्वारा अंतिम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता भी की गई जिसमें देश भर के शोधार्थियों ने अपने पत्रों का वाचन कर राजस्थान के इतिहास के वृहद फलकों पर अपनी बात रखी।

इससे पूर्व उद्घाटन सत्र में सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के इतिहास विभाग की पूर्व प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष प्रो मीना गौड़ को राजस्थान हिस्ट्री कांग्रेस की अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

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