बीकानेर. श्रीडूंगरगढ़. यूक्रेन पर रूस की ओर से किए जा रहे हमलों के बीच वहां फंसे भारतीय युवा अपने परिजनों को वीडियो कॉल के माध्यम से सकुशल होने का भरोसा दिला रहे हैं। बीकानेर के छात्र भी मेडिकल की पढ़ाई के सिलसिले में यूक्रेन के खारकीव इलाके में हैं। मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने पत्रिका से बातचीत में यूक्रेन में बिगड़े हालात की जानकारी दी। साथ ही कहा कि कठिन समय में भी उनके हौसले बुलंद हैं। भारत सरकार पर भरोसा है कि यहां से निकालने की कोई व्यवस्था शीघ्र करेगी। इधर, छात्रों के परिजन चिंतित हैं और अपने बच्चों के स्वदेश लौटने की प्रार्थना और दुआ कर रहे हैं। श्रीडूंगरगढ़ कस्बे के आरिज भी अन्य भारतीय छात्रों के साथ यूक्रेन में फंसे हुए हैं। आरिज ने यूक्रेन से वीडियो कॉल के माध्यम से सकुशल होने का संदेश परिवारजनों को दिया है।
रात 11 बजे से कफ्र्यू
यूक्रेन के शहरों में रात ११ बजे के बाद कफ्र्यू लगा दिया जाता है। दिन में केवल आवश्यक कार्यों के लिए ही घरों से बाहर आने की अनुमति दी जा रही है। यहां कई शहरों एवं प्रांतों पर रूस के सैनिकों ने कब्जा कर लिया है। हालांकि रूसी सेना आमजन को परेशान नहीं कर रही है। यहां एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों के सामने बड़ा संकट है। आगे जून में इनकी परीक्षाएं होनी हैं। यहां का स्थानीय प्रशासन मिसाइल हमलों की सूचना के दौरान सायरन बजाकर अलर्ट कर रहा है। सायरन बजते ही लोग भी सुरक्षित स्थानों बंकर आदि में चले जाते हैं। सायरन बजने का अंतराल पिछले 48 घंटों में कम से कम होता जा रहा है। अब अपेक्षाकृत जल्दी-जल्दी सायरन बज रहे हैं। लोग-बाग भी घरों के अंदर बंद हो गए हैं।
यूक्रेन के शहरों में रात ११ बजे के बाद कफ्र्यू लगा दिया जाता है। दिन में केवल आवश्यक कार्यों के लिए ही घरों से बाहर आने की अनुमति दी जा रही है। यहां कई शहरों एवं प्रांतों पर रूस के सैनिकों ने कब्जा कर लिया है। हालांकि रूसी सेना आमजन को परेशान नहीं कर रही है। यहां एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों के सामने बड़ा संकट है। आगे जून में इनकी परीक्षाएं होनी हैं। यहां का स्थानीय प्रशासन मिसाइल हमलों की सूचना के दौरान सायरन बजाकर अलर्ट कर रहा है। सायरन बजते ही लोग भी सुरक्षित स्थानों बंकर आदि में चले जाते हैं। सायरन बजने का अंतराल पिछले 48 घंटों में कम से कम होता जा रहा है। अब अपेक्षाकृत जल्दी-जल्दी सायरन बज रहे हैं। लोग-बाग भी घरों के अंदर बंद हो गए हैं।
यहां (यूक्रेन) में अभी युद्ध चल रहा है। राजधानी कीव में हालात बिगड़े हुए हैं। करीब डेढ़ महीने पहले ही भारत से यूक्रेन के शहर विनिज्त्सा आया था। यहां नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के दस हजार विद्यार्थियों में बड़ी संख्या में भारतीय विद्यार्थी भी हैं। इसी यूनिवर्सिटी के पास भारतीय खाने का रेस्टोरेंट खोलने का मन था लेकिन मेरे आने के बाद से ही यहां युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। रेस्टोरेंट खोलना तो दूर, उल्टा यहां फंस कर रह गए हैं। गोलियां, टैंक, बारूदी हमले तो नहीं हो रहे लेकिन युद्ध के माहौल के कारण हर तरफ अफरातफरी मची हुई है। भारत सरकार ने सभी भारतीयों से सड़क मार्ग से पोलैण्ड पहुंचने का कहा है। जहां से वे भारतीय छात्रों को एयरलिफ्ट करेंगे।
७०० किलोमीटर की दूरी, यातायात
आरिज ने बताया कि पोलैण्ड बार्डर यूक्रेन के कई जगहों से 700 किलोमीटर दूर है। युद्ध के कारण सभी कैब, बसें व अन्य यातायात बंद हैं। निजी टैक्सियां कई गुणा किराया मांग रही हैं। कुछ निजी वाहन उपलब्ध करवा रहे हैं। ऐसे में बिना सुरक्षा एवं व्यवस्था के भारतीय छात्रों को पोलैण्ड तक पहुंचने में परेशानी हो रही है। यहां सभी को इंतजार है कि युद्ध समाप्त हो और जल्द हालात सामान्य हो जाएं।
सबसे बड़ी दिक्कत नकदी की है। दुकानदारों ने कार्ड से पेमेंट लेना बंद कर दिया है। ऐसे में एटीएम के आगे लंबी लाइनें लगी हुई हैं। माल व दुकानों में राशन समाप्त हो गया है। कई लोगों ने अपने घरों में राशन का स्टॉक कर लिया है। खाने पीने के सामानों के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं। खाने-पीने का सामान मिलने में भी दिक्कत है।
सबसे बड़ी दिक्कत नकदी की है। दुकानदारों ने कार्ड से पेमेंट लेना बंद कर दिया है। ऐसे में एटीएम के आगे लंबी लाइनें लगी हुई हैं। माल व दुकानों में राशन समाप्त हो गया है। कई लोगों ने अपने घरों में राशन का स्टॉक कर लिया है। खाने पीने के सामानों के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं। खाने-पीने का सामान मिलने में भी दिक्कत है।
परिजनों में चिंता, कर रहे लौट आने की दुआ
श्रीडूंगरगढ़ में आरिज के घर पर चिंता का माहौल है। हर कोई उसके सकुशल स्वदेश लौट आने की दुआंए कर रहा है। पिता मोहम्मद अयूब पेंटर का कार्य करते है। आरिज खुद एक ब्लॉगर है, जो यात्राओं के वीडियो से अपना खर्चा खुद ही निकाल रहा है। मोहम्मद अयूब ने बताया कि न्यूज चैनल्स पर लगातार आ रही युद्ध की खबरों ने डरा दिया है। आरिज की दो बहनें एवं मां हर समय यही दुआएं कर रही हैं कि कैसे भी आरिज सकुशल घर आ जाए।
श्रीडूंगरगढ़ में आरिज के घर पर चिंता का माहौल है। हर कोई उसके सकुशल स्वदेश लौट आने की दुआंए कर रहा है। पिता मोहम्मद अयूब पेंटर का कार्य करते है। आरिज खुद एक ब्लॉगर है, जो यात्राओं के वीडियो से अपना खर्चा खुद ही निकाल रहा है। मोहम्मद अयूब ने बताया कि न्यूज चैनल्स पर लगातार आ रही युद्ध की खबरों ने डरा दिया है। आरिज की दो बहनें एवं मां हर समय यही दुआएं कर रही हैं कि कैसे भी आरिज सकुशल घर आ जाए।