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जयपुर। राजस्थान सरकार ने बुधवार को वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया, इस बजट से अभिभावकों को बहुत आशाएं थी किंतु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अभिभावकों की आशाओं को निराशा में बदल दिया। संयुक्त अभिभावक संघ ने आगामी बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा की ” राज्य सरकार को आगामी बजट में अभिभावकों को स्थान देकर राहत प्रदान करनी चाहिए थी, दो वर्षो से अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी फीस को लेकर लगातार मांग कर रहे थे किंतु पिछले बजट की तरह इस बार के बजट में भी अभिभावकों की मांगों को दरकिनार कर राज्य सरकार ने प्रदेश के दो करोड़ अभिभावकों और छात्रों के साथ खिलवाड़ किया है।”

प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की बजट में राज्य सरकार ने ना निजी स्कूलों की फीस मसले पर अभिभावकों को राहत दी और ना ही निजी व सरकारी स्कूलों में बच्चियों की सुरक्षा पर गंभीरता दिखाई। राज्य सरकार के इस रवैये से स्पष्ट होता है की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ना शिक्षा को लेकर गंभीर है ना ही बच्चियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है, यह बजट केवल आगामी चुनावों की तैयारियों वाला बजट है जिसमे केवल जनता को बरगलाया जायेगा और दिखावा किया जाएगा।

जयपुर जिला अध्यक्ष युवराज हसीजा ने कहा की राज्य सरकार ने पिछले बजट में 1200 महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल खोलने की घोषणा की थी किंतु इस एक साल में पूरे प्रदेश में 100 स्कूल भी नजर नही आए और इस बजट में स्कूलों की संख्या शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 1-1 हजार और बड़ा दी है, जबकि पिछली घोषणाओं में कितने स्कूल खोले गए उसकी जानकारी नही दी गई। निजी स्कूलों को लेकर प्रदेशभर का अभिभावक पीड़ित है किंतु सरकार ने स्कूलों के दबाव में आकर कोई निर्णय नहीं लिया। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सारे ऐसे सरकारी स्कूल है जहां बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नही है, सरकार ने इसे भी गंभीरता से नहीं लिया।

*स्कूलों में बच्चियों की सुरक्षा सबसे गंभीर मुद्दा, किंतु सरकार गंभीर नहीं*

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने निजी और सरकारी स्कूलों में बच्चियों के साथ शिक्षक, स्टाफ के द्वारा किए जा रहे बर्ताव पर लगाम लगाने के मामलों पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता थी, संयुक्त अभिभावक संघ ने मुख्यमंत्री को इस संदर्भ में कई मर्तबा पत्र लिखकर मांग भी की किंतु सरकार बच्चियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। संयुक्त अभिभावक संघ की मांग थी की राज्य सरकार सभी सरकारी और निजी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, स्कूल के सभी स्टाफ, शिक्षक, मैनेजमेंट का प्रत्येक तीन महीनो में चरित्र प्रमाण पत्र बनवाने के आदेश अनिवार्यता के साथ जारी करेगी किंतु सरकार ने बच्चियों की सुरक्षा को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया। शिक्षा के लिहाज से यह बजट जीरो है। प्रदेश का अभिभावक इस बजट को 10 में से 0 नंबर देते है।

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