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जयपुर, विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर पर जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय के देराश्री भवन में 20-21 फरवरी को दो दिवसीय राजस्थानी संसद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक शिवदान सिंह जोलावास ने बताया कि 21 फरवरी विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर प्रथम सत्र पाठ्यक्रम में राजस्थानी को शामिल करने बाबत विषय पर विचार किया गया । सत्र में राजस्थानी साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने अध्यक्षता की विशिष्ट अतिथि कवि माया मृग थे।

इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों एवं सेकेंडरी-हायर सेकेंडरी स्कूलों में राजस्थानी विभाग एवं विषय अवश्य खोले जाने चाहिए । जोशी ने कहा कि नयी शिक्षा नीति के प्रस्तावानुसार प्राथमिक शिक्षा का माध्यम राजस्थानी होना चाहिए, उन्होंने प्रदेश भर से आये राजस्थानी भाषा के शुभचिंतकों से आह्वान किया कि वे साहित्य की विविध विधाओं में सक्रियता से सृजन करें तथा युवा रचनाकारों को राजस्थानी भाषा में लिखने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करते रहें ।

विशिष्ट अतिथि माया मृग ने अपनी चिर परिचित आवाज़ में हिन्दी भाषा में बात रखते हुए कहा कि हम किसी भी भाषा में बातचीत करे परन्तु उद्देश्य मातृभाषा को आगे बढ़ाने का होना चाहिए, उन्होंने कहा कि भाषा की मान्यता के लिए सबको एक जाजम पर आना होगा ।

विशिष्ट अतिथि माया मृग ने अपनी चिर परिचित आवाज़ में हिन्दी भाषा में बात रखते हुए कहा कि हम किसी भी भाषा में बातचीत करे परन्तु उद्देश्य मातृभाषा को आगे बढ़ाने का होना चाहिए, उन्होंने कहा कि भाषा की मान्यता के लिए सबको एक जाजम पर आना होगा ।

कार्यक्रम में सुरेन्द्र यादव, डॉ गौरीशंकर निमिवाल ने भी सम्बोधित किया। इसी सत्र में प्रस्ताव पारित किया गया ।

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