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बीकानेर, राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने कहा कि जैविक खेती को किफायती और आम किसान की पहुंच में लाने के लिए कृषि क्षेत्र में शोध और अनुसंधान किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति को हो रहे नुकसान को देखते हुए लाभकारी गैर-रासायनिक खेती पर कार्य करने की आवश्यकता है।
राज्यपाल श्री मिश्र ने सोमवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता करते हुए यह उद्गार प्रकट किए। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच को साकार करने के लिए देश के कृषि संसाधनों का समुचित सदुपयोग कर युवाओं को स्वावलम्बी बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रसार शिक्षा के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती के लिए तैयार करने की जरूरत है।
कुलाधिपति ने कहा कि छोटे किसानों के लिए ‘पॉली हाउस खेती’ की तकनीक फसल उत्पादन बढ़ाने में वरदान साबित हो सकती है। विश्वविद्यालय को इस तकनीक की व्यावहारिकता का परीक्षण कर छोटे किसानों के लिए इसे उपयोगी बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि फसल भण्डारण की उचित व्यवस्था, भण्डारण के लिए किसानों को मिलने वाली ऋण सुविधाओं और सरकारी की कृषि योजनाओं एवं कार्यक्रमों के बारे में किसानों को परामर्श उपलब्ध कराने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों को पहल करनी चाहिए। उन्होंने वर्षा जल संरक्षण और परम्परागत जल स्त्रोतों की सार संभाल के लिए आम किसान को जागरूक करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
राज्यपाल ने आईसीएआर की रैंकिंग में एसकेआरएयू का प्रदेश में दूसरा स्थान आने पर शुभकामनाएं दी और कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा का स्तर बनाए रखें। उन्होंने सामुदायिक महाविद्यालय के आईएसओ, कृषि शिक्षा पुरस्कार सहित विभिन्न उपलब्धियों पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने दीक्षांत समारोह को विद्यार्थियों के जीवन का नया आयाम बताया और कहा कि विद्यार्थी सदैव सीखने की जिज्ञासा रखें। इससे मन और बुद्धि को नई दिशा मिलती है।
कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने कहा कि किसानों और पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार कई नवाचार कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लघु एवं सीमान्त किसानों को कम किराये में कृषि यंत्र एवं उपकरण उपलब्ध कराने के लिए कस्टम हायरिंग सेन्टर स्थापित किए गए हैं। जलवायु परिवर्तन, तापमान वृद्धि, जल स्तर में आ रही कमी को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालयों को फसलों की ऐसी किस्में विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा जो बदलती परिस्थितियों में भी पर्याप्त उत्पादन दे सकें।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि गत दो वर्षों में कोविड के दौर में भी कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर तीन प्रतिशत से अधिक रही है, जिससे अर्थव्यवस्था को संबल मिला है। सकल घरेलू उत्पादन में भी कृषि का योगदान बढ़कर अब 20 प्रतिशत हो गया है, जो एक अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के रूप में मनाया जा रहा है, जिसे देखते हुए राजस्थान में भी बाजरा की खेती को प्रोत्साहन देने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने अपने स्वागत उद्बोधन में प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय की शैक्षणिक एवं अन्य उपलब्धियों, विकास कार्यों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2021 में 3 हजार 600 क्विंटल बीज का उत्पादन किया गया। किसानों की आय बढ़ाने के लिए 15 नई तकनीकें विकसित की गई तथा इन्हें पैकेज ऑफ प्रेक्टिसेज में शामिल किया गया। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा 6 हजार से अधिक किसानों को प्रषिक्षण दियाग या। विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत दो कृषक उत्पादक संगठनों का गठन किया गया है। कृषि महाविद्यालय में शुरू की गई मशरूम उत्पादन इकाई द्वारा किसानों को प्रषिक्षण देने के साथ ही मशरूम के स्पॉन भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
समारोह के दौरान राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित 650 सीट क्षमता वाले विद्या मंडप और ‘कावनी की कहानीः संकल्प से सिद्धि’ और ‘खजूर की उन्नत उत्पादन’ तकनीक पुस्तकों का ई-लोकार्पण भी किया। राज्यपाल श्री मिश्र ने समारोह के आरम्भ में उपस्थित अतिथियों, शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को भारतीय संविधान की उद्देश्यिका एवं संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में वर्णित मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।
इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल, विश्वविद्यालय प्रबंध मण्डल के सदस्यगण, शिक्षकगण एवं विद्यार्थीगण प्रत्यक्ष एवं ऑनलाइन उपस्थित रहे।
*विद्यार्थियों को मिली उपाधियां-पदक*
समारोह के दौरान राज्यपाल ने 968 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की। एमएससी कृषि की छात्रा ईशानी डोगरा को कुलाधिपति पदक प्रदान किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में गोल्ड मैडल प्राप्त करने वालों में बीएएसी (ऑनर्स) कृषि की पारूल सोनी और कविता, बीएससी ऑनर्स होम साइंस की यशस्वी राठौड़ और एमबीएम एग्री बिजनेस के उद्धयन एन., एमएससी कृषि एग्रोनॉमी के महेन्द्र कुमार, एमएससी कृषि जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग के नवरीत कौर, एमएससी कृर्षि हॉर्टिकल्चर के अमरतपाल सिंह, एमएससी प्लांट पैथोलॉजी से नागराज सी मलगी और एमएसी बॉयोटेकॉनोलॉजी की ईषानी डोगरा को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।
*तीन हजार से अधिक जुड़े ऑनलाइन*
विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ऑनलाइन समारोह से 3 हजार से अधिक लोग जुड़े। कार्यक्रम के लिए 790 विद्यार्थियों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया। वहीं विष्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर 950, यू-ट्यूब पर 1 हजार 127, विष्वविद्यालय की वेबसाइट पर 174 तथा वेबेक्स पर 816 व्यक्ति समारोह से जुड़े। संचालन डॉ. मंजू राठौड़ ने किया। इस दौरान कृषि संकाय अध्यक्ष डॉ. आईपी सिंह, सामुदायिक विज्ञान संकाय अध्यक्ष डॉ. विमला डुकवाल तथा कृषि व्यवसाय संकाय अध्यक्ष डॉ. मधु शर्मा मौजूद रहे। तकनीकी व्यवस्थाओं में कुलपति के विशेषाधिकारी इंजी. विपिन लढ्ढा के नेतृत्व में डॉ. अरविंद झांझड़िया, डॉ. बीडीएस नाथावत, डॉ. सुशील खारिया, डॉ. अमित कुमावत आदि ने भागीदारी निभाई।
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