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श्रीडूँगरगढ़। राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति के संस्कृति भवन में विधायक कोष से निर्मित रंगमंच का लोकार्पण रविवार को विधायक गिरधारीलाल महिया ने किया। लोक निजर उच्छब को सम्बोधित करते हुए विधायक महिया ने कहा कि राजस्थानी राजस्थान की सिर्फ भाषा नहीं, सम्वेदना और जीवन है। यह लोक के हृदय में धड़कती है। यही कारण है कि राज की मान्यता न होने के बावजूद यह आज भी समृद्धतम भाषाओं में शुमार है। कॉमरेड महिया ने कहा कि रंगमंच के निर्माण से भाषा, साहित्य, संस्कृति और लोक कलाओं के संरक्षण को सम्बल मिलेगा।
अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह यादव ने राजस्थानी को प्राण-प्रण की भाषा बताते हुए कहा कि अब शासकीय मान्यता ज्यादा दूर नहीं। युवा पीढ़ी को रचनात्मक प्रविधि में गंभीरता और सांस्कृतिक परम्परा आत्मसात करने के लिए चेताया।
मुख्य अतिथि मानसिंह शेखावत, मऊ ने संस्था के प्रयासों को अनमोल बताया और पूरे देश के लिए इसे उदाहरण बताया। विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् साहित्यकार रामजीलाल घोड़ेला ने राजस्थानी को संस्कार व रोजगार से जोडऩे का आह्वान किया।
इससे पूर्व संस्थाध्यक्ष श्याम महर्षि ने राजस्थानी मान्यता के लिए जन आंदोलन व राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव को रेखांकित करते हुए हरियाणा, गोवा के उद्धरण दिए और निरन्तर प्रयासों की आवश्यकता जताई। संयोजक रवि पुरोहित ने राजस्थानी मान्यता आंदोलन की यात्रा साझा की। लोक निजर उच्छब समारोह में राजस्थली कवि गोष्ठी भी हुई, जिसमें दीनदयाल शर्मा, हनुमानगढ़, पूनमचन्द गोदारा, गुसांईसर बड़ा, सुधा सारस्वत, बीकानेर, सत्यदीप श्रीडूँगरगढ़ ने रचना पाठ किया। इस दौरान रामचन्द्र राठी, ताराचन्द इन्दौरिया, महावीर माली, बजरंग शर्मा, सत्यनारायण योगी, भंवर भोजक, डॉ. मदन सैनी, डॉ. चेतन स्वामी, सोहनलाल ओझा, विजय महर्षि, गोपीराम नाई, एडवोकेट भरतसिंह राठौड़, श्यामसुन्दर आर्य, ओम गुरावा, सरपंच जसवीर सारण, कपिला स्वामी सहित कई प्रबुद्धजन मौजूद थे।
इनको मिला राजस्थली सम्मान- मातृभाषा दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित समारोह में भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय अवदान के लिए डॉ. मनमोहन सिंह यादव, उदयरामसर, मानसिंह शेखावत मऊ, रामजीलाल घोड़ेला लूणकरनसर, राजेन्द्र स्वर्णकार बीकानेर को राजस्थली सम्मान अर्पित किया गया।

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