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बीकानेर,हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका आशियाना रिहायशी इलाके के लिए बिजली, पानी, सड़क, सीवर, राेड लाइट, पार्किंग, अच्छी जल निकासी, सफाई, मार्केट और चाैड़ी सड़कें हाें। बीकानेर में भी पांच से सात कॉलोनियों को पॉश इलाके में शुमार माना जाता है। जिनमें करणी नगर-गांधी काॅलाेनी, समता नगर, जयनारायण व्यास काॅलाेनी, पवन पुरी शामिल है। शहर की दो पॉश कॉलोनियों के जमीनी हालात देखे। सच्चाई जो सामने आई वो पॉश से बिलकुल उलट है। लगा मानो लोग झूठे मोह में हैं कि वो पॉश इलाके में हैं जहां मूलभूत सुविधाएं नहीं पढ़ी। पढ़िए करणीनगर-गांधी काॅलाेनी और समता नगर की ग्राउंड रिपाेर्ट-

इन काॅलाेनियाें का काेई जिम्मेवार नहीं
करणीनगर, कैलाशपुरी, समता नगर, सुदर्शना नगर, पवनपुरी का आधा हिस्सा, वल्लभगार्डन समेत कुछ ऐसी काॅलाेनियां हैं जिनकी जिम्मेवारी ना ताे यूआईटी ले रही ना नगर निगम। क्याेंकि ये राजपरिवार की जमीन पर बनी हैं। अब तक हस्तांतरित नहीं हुई। हालांकि करणीनगर में सड़के यूआईटी बनाती है लेकिन पार्क समेत अन्य कामाें की बात आने पर ये कहते हाथ खड़ा करती कि ये मेरी काॅलाेनी नहीं।

वीआईपी V/S आम पार्क : मेयर हाउस के सामने शानदार सुसज्जित पार्क, बाकी में उगे झाड़-झंखाड़
कैलाशपुरी और करणीनगर इलाके में एंट्री करते ही सड़क पर गोबर जगह-जगह मिलेगा। यहां की एक जानी-मानी हाेटल की पूरी दीवार ही गाेबर से सन चुकी है। कैलाशपुरी में सफाई के बाद पार्क के काेने में गाेबर का ढेर लगा है। निगम के ट्रेक्टर राेज उसे भरकर ले जाते है। यहां के जितने भी पार्क हैं उनमें से किसी में हरियाली नहीं है।

क्षेत्रीय विधायक सिद्धि कुमारी ने पार्काें की चारदीवारी ताे बनवाई लेकिन नगर निगम और नगर विकास न्यास समेत स्थानीय पार्षद ने पार्काें की सुध तक नहीं ली। स्थानीय लोगों की मेहनत से र्पाक में झूले लगे थे लेकिन वे भी टूट गए तो लोगों ने उन्हें खोलकर रख दिए। घास दूर की बात, पार्काें में कई फीट गहरे गड्ढे बने हुए हैं।

ये वो इलाका है जहां सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरपीएस, आरएफएस, कई राजनेता, बिजनेस मैन समेत तमाम हस्तियां रहती हैं। कैलाशपुरी में एक विवादित पार्क में ताे इतना पानी भरा हुआ कि उसमें गाेबर सड़ रहा। मच्छर पनप रहे हैं। इस काॅलाेनी में नाली ना हाेने की समस्या अभी से बनने लगी है। कहीं भी नाली नहीं है। हैं ताे भी जाम हैं। लाेगाें ने नालियाें काे ढ़ककर कब्जे कर लिए।

पार्षद का तर्क- पार्काें में कभी काम नहीं हुआ, अब 20 लाख मंजूर कराए हैं
स्थानीय पार्षद प्रमाेद सिंह शेखावत का कहना है कि विधायक सिद्धि कुमारी ने पार्काें की चारदीवारी कराई लेकिन उनकाे विकसित करने का जिम्मा नगर विकास न्यास का है क्याेंकि सड़कें ताे उन्हाेंने ही बनाई थी। पार्काें की बात आती है ताे यूआईटी अधिकारी कहते हैं कि ये मेरा इलाका नहीं। फिर भी हमने 20 लाख रुपए का इंतजाम किया है और जल्दी ही पार्काें काे दुरुस्त करेंगे डेयरी के लिए कई केस चल रहे हैं। मैं चाहता हूं कि काॅलाेनी से डेयरी हटें।

समता नगर हाइवे से सटती काॅलोनी जिसमें बड़े बंगले, महल, होटल मगर सड़क नदारद
समता नगर वार्ड 14 यानी मेयर सुशीला कंवर राजपुराेहित का क्षेत्र है। भले ही शहर के 80 वार्डाें में सबसे वीआईपी वार्डाें में शुमार हाे लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या सुरक्षा है। चाेराें के निशाने पर ये इलाका रहता है क्याेंकि यहां बड़े व्यापारी, बिजनेस मैन और रसूखदार लाेग रहते हैं। हाई-वे के किनारे की काॅलाेनी है इसलिए आए दिन यहां छीनाझपटी के केस भी सामने आए हैं। काॅलाेनी में कुछ जगह प्रवेश द्वार हैं लेकिन कई गलियों में ना ताे गेट हैं ना सुरक्षा गार्ड। कार जब हिचकाेले खाने लगे समझ जाना कि ये समता नगर की सड़कें हैं। उरमूल के सामने वाली रोड छोड़ दें तो एक भी सड़क ऐसी नहीं जहां गड्ढे नहीं हैं।

मंडी के सामने वाली गली में घुसने पर तो एक से डेढ़ फीट गड्‌ढे हैं। इस कॉलोनियों में खासी कोठियां हैं लेकिन उनके बाहर संकरी सड़कें। कंपीटीशन में लोग मकान बनाते बनाते इतने आगे आ गए कि घर के सामने वाली सड़क को ही संकरा कर दिया। पार्क के नाम पर इक्का दुक्का ही विकसित हैं लेकिन बाकी में झाड़ियां उगी हैं। मेयर का आवास भी वार्ड 14 में है और उनके घर के सामने पार्क वीआईपी हाेने की गवाही दे रहा है लेकिन इस पार्क से ठीक 100 मीटर दूर पार्क में कई फीट ऊंची झाड़ियां हैं।

पार्षद बोली, यूआईटी सपाेर्ट नहीं करती, मेरे घर का पार्क जनसहभागिता की निशानी
क्षेत्रीय पार्षद सुशीला कंवर राजपुराेहित का ये वार्ड हैं। बाेली, समता नगर बड़ा इलाका है। नगर विकास न्यास सड़काें के मामले में बिलकुल मदद नहीं करता। निगम यूआईटी क्षेत्र में विकास कराता है लेकिन कुछ सालाें से यूआईटी बिलकुल सहयाेग नहीं कर रही। रही बात पार्क की ताे हमने खुद अपने दाे आदमी रखे हुए है। मैने पाैधे मंगाए। देखरेख करता हूं। ये जनसहभागिता की निशानी है। समता नगर में भी कुछ ऐसे पार्क हैं जहां लाेग खुद मेंटेन करते हैं। सब कुछ सरकार नहीं कर सकती। कुछ लाेगाें काे खुद भी जिम्मेवारी लेनी हाेगी। यूआईटी का सपाेर्ट नहीं मिलता। यूआईटी से थाेडी भी मदद करे ताे निगम पर भार नहीं आएगा। निगम यूआईटी वार्डाें में काम कराता है लेकिन यूआईटी नहीं कराता।​​​​​​​

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