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बीकानेर,खतरे में निजता,कानून के साथ सतर्कता जरूरी दुनिया की दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक फिर विवादों में है। दरअसल, उस पर आरोप है कि उसने चेहरा पहचानने की तकनीक का ध्यान नहीं रखा। कंपनी ने बिना इजाजत के टैक्सास के लोगों का इस तकनीक के जरिए बायोमेट्रिक डेटा तक एकत्रित कर लिया। फेसबुक पर आरोप है कि उसने इस डेटा को दूसरों के साथ भी साझा किया है। इस तरह के आरोप वाकई गंभीर और चिंताजनक हैं।

दरअसल, तकनीकी के दुरुपयोग का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी तकनीकी के दुरुपयोग के मामले सामने आ चुके हैं। चेहरा पहचानने कैसे तय होगा कि इसका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है? इतना ही नहीं की तकनीकी यानी फेशियल रिकग्निशन का यह फीचर आज हर एंड्रॉइड मोबाइल में उपलब्ध हैं और लोग इसका अनुचित इस्तेमाल भी कर रहे हैं। मोबाइल का लॉक खोलने के लिए भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि यह डेटा संबंधित मोबाइल कंपनी के सर्वर पर जा रहा है। इसके उपयोग को लेकर कोई नीति नहीं है। ऐसे में यह दुनियाभर के बहुत सारे ऐसे ऐप हैं, जिन पर इस तरह से डेटा लेकर उसे बेचने तक के आरोप लगते रहे हैं। भारत सरकार लगातार चीनी कंपनियों के ऐप को भारत में बैन कर रही है। उसके पीछे भी सरकार का तर्क यही है कि वे यूजर की निजता की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे रही हैं। यानी कंपनी डेटा तो एकत्रित कर रही हैं, लेकिन डेटा की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। इससे पहले सरकार भारतीयों का डेटा भारत के भीतर रखने और उसे किसी दूसरे के साथ साझा नहीं करने की वकालत कर चुकी है। बावजूद डेटा का दुरुपयोग हो रहा है। जाहिर है, सख्त कानून के बिना डेटा का दुरुपयोग रोका नहीं जा सकता। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि तकनीकी के उपयोग के दौरान हमें यह देखना और सोचना पड़ेगा कि हम जिसका इस्तेमाल कर रहे हैं, वह हमारी निजता की सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं है। जिस निजता को हम गैर जरूरी मानकर आगे बढ़ जाते हैं, वही आगे चलकर महत्त्वपूर्ण साबित होती है। चेहरा पहचानने की तकनीक लगभग इसी खतरे को परिलक्षित करती है। अगर हम ऐसी ही लापरवाही करते रहे, तो हमारा डेटा हमारी अपनी अज्ञानता के कारण साझा होता रहेगा। इसलिए सरकारों को सख्त कानून बनाने के साथ ही हमें भी खुद इस पर गंभीरता दिखाने की जरूरत है।

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