बीकानेर। स्मार्ट सिटी बीकानेर की बदतर हालत अब जानलेवा भी साबित होने लगी है। स्मार्ट सिटी की इस हालत पर जिम्मेदार बड़े ही स्मार्ट तरीके से शहर को बेवकूफ बनाने का कार्य कर रहे हैं। टूटी सड़कों से जहां शहर का अस्थि-पंजर एक हो चुका है, वहीं जगह जगह खुले पड़े नाले व चैंबर जानलेवा साबित हो रहे हैं। पिछले दस दिनों में ही दो लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं तीसरा व्यक्ति पीबीएम में भर्ती है।
आज शाम करीब साढ़े छः बजे रानीसर के विनोबा ग्राउंड के सामने स्थित गहरे नाले में एक व्यक्ति गिर गया। वहां से गुजर रहे दस साल के मासूम ने नाले में आदमी देखा तो राहगीरों को मदद के लिए कहा। राहगीर जाबिर, टिप्पी, गजानन व गिरधारी ने नाले में सर के बल के गिरे व्यक्ति को बाहर निकाला। उसे पीबीएम अस्पताल में भर्ती करवाया। घायल की पहचान कुचीलपुरा निवासी ओमप्रकाश पुत्र भगवान दास अरोड़ा के रूप में हुई। असहाय सेवा संस्थान के राजकुमार खड़गावत के अनुसार उनके पास करीब सात बजे फोन आया। वे रमजान के साथ मौके पर पहुंचे। घायल ओमप्रकाश कीचड़ से सना था। उन्होंने उसके शरीर की सफाई की। कपड़े बदले। चिकित्सकों ने इलाज शुरू कर डी वार्ड में भर्ती कर दिया। ओमप्रकाश के बाहरी चोट नहीं दिखी, मगर वह गंभीर लग रहा है। सेवा में असहाय सेवा संस्थान के राजकुमार, रमजान व इरफान ने सहयोग किया।
इससे पहले भुट्टों के चौराहे के नाले में एक व्यक्ति मिला था। जिसे अस्पताल लाया गया। खड़गावत के अनुसार चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया। वहीं दो दिन पूर्व जस्सूसर गेट से सैटेलाइट अस्पताल की ओर जाने वाले नाले में गिरने से तरुण तनेजा की मौत हो गई थी।
सवाल यह है कि आखिर जिम्मेदारों की आंखें कब खुलेंगी। बीकानेर नगरीय क्षेत्र के हर हिस्से में गढ्ढ़े, खुले नाले व जानलेवा सीवर लाइन चैंबर भरे पड़े हैं। इन बड़ी समस्याओं पर ना जनप्रतिनिधि एकजुट होते हैं और ना ही प्रशासन अधिक ध्यान देता है। नगर निगम व यूआईटी दोनों ही आंखें मूंदकर बैठे हैं।