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बीकानेर। स्वतंत्रता सेनानी स्व. श्री अम्बालाल माथुर की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में कोलायत के पूर्व विद्यायक रामकिशन दास गुप्ता ने ऐतिहासिक तथ्यों की विवेचना करते हुए कहा कि स्वाधीनता आन्दोलन के वक्त रजवाड़ों के विरूद्ध कांग्रेस ने अपने आन्दोलन को आगे नहीं बढ़ाया। उन्होंने कहा कि दुनिया मेंं हो रहे परिवर्तन और स्वाधीनता आन्दोलन का असर रियासती जनता पर भारी प्रभाव डाल रहा था।

 रजवाड़ों की जनता राजाओं और सामन्तों के उत्पीड़न से मुक्त होना चाहती थी। रियासती इलाकों में बाबू रघुवर दयाल गोयल जैसे लोगों के नेतृत्व में राजस्थान की जनता ने दोहरी गुलामी के विरूद्ध संघर्ष किया। गुप्ता ने बताया कि देशी रियासतों में प्रजा परिषद् का गठन किया गया और लोकतान्त्रिक आबोहवा बनने लगी। रजवाड़ों के विरूद्ध चल रहे आन्दोलन में ही रियासतों को भारत संघ में मिलने के लिए बाध्य किया। अंग्रेजों ने देश को आजादी देते वक्त प्रिंसली स्टेटों को मनमर्जी करने की छूट दे दी थी जिससे भारी नुकसान हो रहा था। गुप्ता के व्याख्यान में इतिहास की सच्चाईयों को उजागर किया। कांग्रेस की सुस्ती व भुल के कारण आजादी के बाद भी राजस्थान जैसे राज्यों पर भारी प्रभाव पड़ा।

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