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बीकानेर,पुष्करणा ब्राह्मण समाज का सामूहिक सावा आज होगा। मांगलिक मुहूर्त में सावे की विशेष पहचान विष्णुरूपी पारम्परिक आरा निकलेगी। बनियान,पीतांबर और खिड़किया पाग पहने और नंगे पैर विष्णुरूपी दूल्हे बिना घोड़ी, रथ, बाजा के शंख ध्वनि और झालर की झंकार के बीच बारात में शामिल होंगे। एक साथ सैकड़ों शादियां होने से परकोटा स्वा बनेगा शहरवासी बाराती बनेंगे। गली-गली मंगलगान होगा। शाम 3.30 बजे से विष्णुरूपी दूल्हों की बारातें निकलने का क्रम शुरू हो जाएगा, जो रात तक चलता रहेगा। पुष्करणा सावा पर घर-घर शादिया होने से हर कोई साबे के रंगों से सराबोर है। भवन, बाड़े, कोटूड़िया, गली-मोहल्ले रंगीन रोशनियों से जगमग कर रहे हैं। दोल नगाड़ों और डीजे की स्वर लहरियों के बीच मांगलिक गीत गूंज रहे हैं।

विभिन्न स्थानों पर पारम्परिक विष्णुरूपी दूल्हों का सम्मान होगा कई स्थानों पर शाम चार बजे पहुंचने वाले पहले तीन दूल्हों को नकद झमक संस्था की ओर से मंच कार्यालय के समक्ष शाम चार बजे पहुंचने वाले पहले दो दूल्हों को ‘सिरे पावणा बींद राजा पुरस्कार से को सपत्नीक श्रीनाथजी यात्रा का टिकट भी दिया जाएगा। श्री पुष्टिकर ब्राह्मण सामूहिक सावा व्यवस्था समिति की ओर से मोहता चौक में प्रथम तीन दूल्हों का नकद राशि व स्मृति चिह्न प्रदान किया जाएगा। राष्ट्रीय पुष्करणा यूथ सामाजिक का सम्मान किया जाएगा। सत लाल बाबा की स्मृति में विष्णुरूपी दूल्हों सेवाएं दे रहे है। को स्मृति चिह्न प्रदान किए जाएंगे। रत्ताणी व्यास चौक में भी विष्णुरूपी दूल्हों का सम्मान किया जाएगा।

लाल रंग के गर्म कबल (लौकार) की छत के नीचे बिष्णुरूपी दूल्हे पैदल ही तू मत डरपे हो लाड़ला पारम्परिक गीत की गूंज के बीच ससुराल पहुंचेंगे। दूल्हे सहित बाराती पैदल होंगे। रथ, बाजा, घोड़ी डीजे के शंख और झालर की ध्वनियां होगी। सम्मानित किया जाएगा। इन दूल्हीं

गुरुवार को कई परिवारों में मायरा की रस्म हुई। ननिहाल पक्ष की और से मायरा भरा गया। महिलाओं ने बीरा रिमक झिमक आयजो’, बीरो महारो आयो रे’ और ‘कठै सू आई सूंठ, कठै सू आयो जीरो पारम्परिक मांगलिक गीतों का गायन किया।

संस्थाओं की ओर से सावे पर बड़ी संख्या में दूल्हों सहित बारातियों के सिर पर साफा, पाग, बांधने के लिए कलाकार अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

गुरुवार को परम्परानुसार वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष के यहां दाल और विभिन्न मसाले पहुंचाए गए। 11 अथवा 21 किलोग्राम मोठ छिलका दाल के बीच में सुखी लाल मिर्च को पंडितों का सम्मान पेड़ के रूप में बांधकर लगाया गया। गुड़ की भेली, मिर्च, धनिया, हल्दी, सहित विभिन्न मसाले भी भेजे गए। वर के मंगल मंगल को रसम हुई।

आज होने वाले विवाह को लेकर गुरुवार वर-वधू की शहर में गणेश परिकमाए (छींकी) निकलीं वर-वधू अपने-अपने ससुराल पहुंचे। पोखने और खोळा भरने की रस्म का निर्वहन किया गया गणेश परिक्रमाओं के दौरान बच्चों से बुजगों तक और बालिकाओं व महिलाओं ने वेद मंत्रों का उच्चारण किया। गणेश परिक्रमा के दौरान भगवान गणेश का पूजन किया गया। गणेश परिक्रमाओं के देर शाम से निकलने का शुरु हुआ सिलसिला मध्य रात्रि बाद तक चलता रहा। गणेश परिक्रमा से पहले मातृका स्थापना व पूजन तथा तोरण की रस्म हुई।

पुष्टिकर सूरदासआणि पुरोहित सार्वजनिक ट्रस्ट व कुलदेवी डेहरु माता सेवा समिति की ओर से बारह गुवाड़ चौक में गणेश परिक्रमाओं के निकलने के दौरान राबडिये की व्यवस्था की गई। गणेश परिक्रमाओं में शामिल प्रथम पांच दूल्हों का भी सम्मान किया गया।

पंडितों का सम्मान रमक झमक संस्थान की ओर से गुरुवार को पुष्करणा सभा थापण करने से जुड़ी समिति पदाधिकारियों व पंडितों का सम्मान किया गया प्रहलाद ओझा भैरु के अनुसार कार्यक्रम में मक्खन लाल पुष्टिकर सूरदासाणी पुरोहित व्यास, नारायण व्यास, श्रीवल्लभ व्यास, कानू नाल व्यास, मांगीलाल व्यास, ब्रजेश्वर लाल व्यास का सम्मान किया गया। वहीं सावा शोधन में योगदान देने के लिए पंडित अशोक ओझा, पंडित राजेन्द्र किराड़, पंडित अशोक ओझा, राज ज्योतिषी परिवार प्रतिनिधि भाया आचार्य का सम्मान किया गया। इस दौरान एडवोकेट ओम भादाणी, अविनाश आचार्य, आशीष भादाणी, गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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