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बीकानेर, कोटा और भरतपुर में एक समानता है। तीनों शहरों में बिजली की आपूर्ति निजी क्षेत्र की कम्पनी के पास है। बीकानेर में बिजली चोरी एक समय में बहुत ज्यादा थी। जब से निजी कंपनी ने काम संभाला है, बिजली चोरी पर काफी हद तक लगाम लगाई जा चुकी है। बिजली की गुणवत्ता और आपूर्ति में भी कुछ सुधार हुआ है। मगर, इस तीनों शहरों में, खासतौर पर बीकानेर में कुछ लोग बिजली कम्पनी के कामकाज से बेहद नाराज हैं। नौबत यहां तक पहुंच गई है कि बीकानेर में कम्पनी के अधिकारियों के साथ कभी मारपीट हो जाती है, तो कभी धरने दिए जाते हैं। एक बार तो कम्पनी के सीईओ के मुंह पर कालिख तक पोत दी गई। ऐसी घटनाएं चिंताजनक हैं और समस्या की गंभीरता को रेखांकित करती हैं।

असल में ऐसी घटनाएं नेताओं की शह पर होती हैं। इसलिए पुलिस भी कार्रवाई से बचती रहती है। बीकानेर में पिछले दिनों कम्पनी के एक विजिलेंस अधिकारी को बिजली चोरों के खिलाफ कार्रवाई करने पर धमकी दी गई। जब अधिकारी ने धमकी पर ध्यान नहीं दिया, तो 28 जनवरी को कुछ लोगों ने उसकी गाड़ी को घेर कर शीशे तोड़ डाले। साथ ही मारपीट भी की। गंभीर बात यह है कि बीकानेर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर इतिश्री कर ली। आज तक आरोपी खुले धूम रहे हैं। ऐसी हालत में बिजली कंपनी के अधिकारी कैसे काम कर पाएंगे? राज्य के पुलिस प्रशासन को ऐसे मामलों में बीकानेर पुलिस से जवाब मांगना चाहिए।

बिजली कम्पनी के कामकाज में कमियां हो सकती है। हो सकता है कि कुछ लोगों की मीटर तेज चलने या बिल ज्यादा आने की शिकायतें हों,लेकिन कम्पनी के अधिकारियों कर्मचारियों से मारपीट करना तो इस समस्या का हल नहीं हो सकता। ट्रांसफार्मर की गड़बड़ी से पिछले दिनों एक पार्षद पति की मौत की खबर भी सुर्खियां बनी थी। हाल ही में करंट लगने से पशुओं के मरने की खबरें भी आई थीं। निजी कम्पनी के खिलाफ और भी बहुत सी शिकायतें हैं। ऐसे में बिजली कम्पनी को भी चाहिए कि वह लोगों के बीच में जाकर समस्याए सुने। समस्याओं का निराकरण हो, ताकि जनता की नाराजगी दूर हो सके। शिकायतों पर समय रहते ध्यान दिया जाना चाहिए। कम्पनी और स्थानीय लोगों के बीच आए दिन होने वाले टकराव को खत्म करने के लिए राज्य सरकार को भी जरूरी कदम उठाने चाहिए अन्यथा शहर में अराजकता बढ़ेगी।

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