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बीकानेर,नौकरियों की भर्ती परीक्षा में नकल को लेकर पिछले साल बीकानेर प्रदेशभर में खासा बदनाम रहा। वैसे भी भर्तियों में नकल कराने को लेकर बीकानेर की स्थिति दयनीय है। चाचा-भतीजे ने सरकार के सरकारी भर्तियों में नकल नहीं कराने के लिए किए गए इंतजामों की हवा निकाल कर रख दी। एसआई, पटवारी के साथ-साथ रीट की परीक्षा में चप्पल में हाईटेक डिवाइजस लगाकर नकल कराने की तकनीक को लेकर बीकानेर प्रदेश ही नहीं देशभर में सुर्खियों में रहा। रीट और पटवारी भर्ती परीक्षा के सरगना तुलछाराम व पौरव आपस में चाचा-भतीजे है। पुलिस ने तुलछाराम को पहले की पकड़ चुकी है जबकि पौरव कालेर अब पकड़ में आया है।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि चाचा तुलछाराम कालेर व भतीजा पौरव कालेर बेहद शातिर है। यह दोनों पिछले लंबे अर्से से सरकारी भर्तियों में नकल कराने का काम करते हैं। पुलिस के हत्थे भी चढ़ते हैं। सरकार के परीक्षाओं में नकल नहीं कराने को लेकिर किए जाने वाले कड़े इंतजामों को धवस्त कर देते हैं। इसका हाल ही में हुई रीट, पटवारी व एसआई भर्ती परीक्षा बड़े उदाहरण है। रीट परीक्षा में नकल को लेकर बचा बचाव थम नहीं रहा। हालात यह रही कि सरकार को रीट द्वितीय लेवल की परीक्षा तक रद्द करनी पड़ी है।

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक चाचा तुलछाराम व भतीजे पौरव कालेर के कई बड़े करनामे है। तुलछाराम १९९१ में उपनिरीक्षक के पद पर भर्ती हुआ। अजमेर रेंज के नागौर जिले में डीडवाना में प्रशिक्षु काल में निजी बस से पकड़ी गई हवाला रकम में से तीन लाख रुपए का गबन करने पर पुलिस मुख्यालय ने इसे सेवा से बर्खास्त कर दिया था। पुलिस सेवा से बर्खास्त तुलछाराम 2००७ में राजस्थान प्रशासनिक सेवा में भी चयनित हो गया था। वर्ष 2००९ में भतीजे पौरव की जगह उपनिरीक्षक की परीक्षा खुद ने दी। परिणाम से पूर्व आरपीएससी को उसकी कारगुजारी का पता चल गया। आरपीएससी ने तुलछाराम व उसके भतीजे के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज कराया था।

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