बीकानेर,शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार, गवन और अनियमितता के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। जबकि इनके निस्तारण की गति बेहद धीमी है। जिस रफ्तार से विभाग की जांच हो रही है, अगले कई साल तक मामले निपटने वाले नहीं है। गवन में लिप्त कार्मिक मामले को जांच में ही उलझाए रखना चाहते हैं। विभाग में 31 जनवरी तक 2512 शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच लबित थी। जबकि जनवरी से अब तक महज 71 मामलों का ही निस्तारण किया गया है।
प्राथमिक जांच के भी हजारों प्रकरण
राज्य भर से शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें आती रहती हैं। जिन्हें निदेशालय स्तर पर देखा जाता हैं। जो शिकायतें गंभीर प्रकृति की होती हैं, उनमें पहले प्राथमिक जांच की जाती है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाता है कि प्रकरण में
आगे जांच की जाए अथवा नहीं। जो शिकायत आधारहीन होती है उसमें कार्रवाई बंद कर दी जाती है। आगे जांच करने योग्य प्रकरणों में 16 सीसीए अथवा 17 सीसीए में दर्ज कर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए
जांच अधिकारी नियुक्ति किया जाता है। फिलहाल शिक्षा विभाग में 1045 बकाया प्रकरणों में से 48 निस्तारित किए गए है। जबकि 63 नए मामले जुड़ गए हैं।
17 सीसीए में 421 मामले बकाया
माध्यमिक शिक्षा विभाग में 17 सीसीए के कुल 421 प्रकरण बकाया चल रहे हैं। इनमें 383 प्रकरण न्यून परीक्षा परिणाम वाले तथा 38 अन्य प्रकृति के बताए जाते हैं। जनवरी महीने में ऐसे केवल 14 प्रकरणों का
गंभीर प्रकृति के मामले ज्यादा
विभाग में प्राथमिक जांच के बाद सबसे ज्यादा गंभीर प्रकृति के ही निस्तारण किया गया। मामलों की जांच विचाराधीन है। राजस्थान सिविल सेवा आचरण नियमों के तहत 16 सीसी के 862 मामले लंबित चल रहे हैं। 16 सीसीए मामलों को गंभीर प्रकृति का माना जाता है। इसमें दोष प्रमाणित होने पर सेवा से बर्खास्तगी तक की सजा दी जा सकती है। इसमें वित्तीय अनियमिता, भ्रष्टाचार गबन, गलत आचरण और आपराधिक मामले शामिल होते हैं। विभाग में इस साल जनवरी के शुरू में 844 प्रकरण बकाया थे। जनवरी के अंत में विभाग में ऐसे गंभीर प्रकृति के 846 प्रकरण बकाया चल रहे हैं। ऐसे मामलों में जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने पर निदेशक की ओर से दोषी शिक्षा अधिकारी को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिया जाता है। अंतिम निर्णय उसी आधार पर होता है।
सेवानिवृति तक भी मामलों का निस्तारण नहीं
विभाग में कई प्रकरण सेवानिवृत हो चुके शिक्षा अधिकारियों के भी लंबित पड़े है। ऐसा ही एक मामला बीकानेर जिले के पूगल के सरकारी स्कूल से सेवानिवृत हो चुके प्रधानाचार्य का है। जिनको 5 माह बाद भी न तो प्रोविजनल पेंशन मिली है और न ही उनके खिलाफ चल रही 16 सीसीए की जांच निस्तारित की गई है। पूरे राज्य में ऐसे कई प्रकरण है।